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Tuesday, June 17, 2025

जानलेवा हमले के मामले में दोष सिद्ध, दोषी को न्यायिक हिरासत में भेजा गया, 30 जून को सुनाई जाएगी सजा

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फर्रुखाबाद, मोहम्दाबाद: करीब 16 वर्षों पुराने एक जानलेवा हमले के मामले में न्यायालय (Court) ने आरोपी बृजेश को दोषी करार देते हुए न्यायिक हिरासत (judicial custody) में भेज दिया है। अपर जिला जज (Additional District Judge) एवं सत्र न्यायाधीश (विशेष तृतीय) शैलेन्द्र कुमार सचान ने सोमवार को यह फैसला सुनाया। सजा के निर्धारण हेतु 30 जून 2025 की तिथि निर्धारित की गई है।

कोतवाली मोहम्मदाबाद क्षेत्र के सुल्तानपुर निवासी दिवारी लाल के भतीजे जादूनाथ पुत्र अशर्फीलाल निवासी मीठा पुर, कमालगंज ने 29 मार्च 1994 को स्थानीय थाने में एक एफआईआर दर्ज कराई थी। तहरीर में जादूनाथ ने बताया कि वह अपने फूफा दिवारी लाल के पास रहकर खेती का कार्य करता था। दिवारी लाल का जमीन का एक विवाद मुकदमे के रूप में फूल सिंह नामक व्यक्ति से चल रहा था, जिससे फूल सिंह द्वेष रखता था।

दिनांक 29 मार्च 1994 को शाम करीब 5 बजे फूल सिंह, देशराज, शिवनाथ और बृजेश, हाथों में तमंचा, लाठी व ईंट-पत्थर लेकर दिवारी लाल के दरवाजे पर पहुंचे और गालियां देने लगे। इसी बीच बृजेश ने तमंचे से फायर करते हुए धमकी दी कि “आज साले को जान से मार देंगे।” गोलीबारी और हंगामा सुनकर आसपास के ग्रामीण एकत्र हो गए, जिससे आरोपी भाग निकले।

घटना के बाद पुलिस ने मामले में मुकदमा तो दर्ज किया, लेकिन बाद में फाइनल रिपोर्ट न्यायालय में प्रस्तुत कर दी। इस पर वादी जादूनाथ ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से न्यायालय में प्रोटेस्ट दाखिल किया। न्यायालय ने साक्ष्यों के आधार पर आरोपियों को तलब कर मुकदमे की सुनवाई प्रारंभ की। विचारण के दौरान आरोपितों में से फूल सिंह और देशराज की मृत्यु हो गई। बचाव पक्ष की दलीलों और शासकीय अधिवक्ता की प्रभावी पैरवी के बाद न्यायालय ने शेष जीवित आरोपी बृजेश पुत्र देशराज, निवासी सुल्तानपुर, मोहम्मदाबाद को जानलेवा हमले का दोषी पाया।

अपर सत्र न्यायाधीश शैलेन्द्र सचान ने दोषी बृजेश को न्यायिक हिरासत में लेकर जेल भेज दिया है। इस बहुचर्चित और लंबे समय से लंबित प्रकरण में अब सजा के बिंदु पर 30 जून 2025 को निर्णय सुनाया जाएगा! यह मामला उन प्रकरणों में शामिल है जहां समय बीत जाने के बावजूद पीड़ित पक्ष ने न्याय पाने की लड़ाई नहीं छोड़ी। न्यायालय के निर्णय से यह स्पष्ट होता है कि अपराधी कितना भी समय बीतने के बाद भी कानून के शिकंजे से नहीं बच सकता।

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