- वर्तमान की कद्र करना ही असली सुख है, नहीं तो चाहतों की दौड़ हमें जीवन के असली आनंद से दूर कर देती है।
शरद कटियार
अक्सर हम जीवन में उस चीज़ की चाहत करते हैं, जो हमारे पास नहीं है। यह एक स्वाभाविक मानवीय प्रवृत्ति है कि हम भविष्य की ओर देखें, कुछ बेहतर पाने की उम्मीद करें, और निरंतर आगे बढ़ने का प्रयास करें। लेकिन इसी प्रक्रिया में हम यह भूल जाते हैं कि जो हमारे पास इस वक्त मौजूद है, वह भी कभी हमारी ख्वाहिश हुआ करता था।
जिस तरह एक बच्चा साइकिल की चाह करता है, फिर एक युवा बाइक चाहता है और उसके बाद कार की लालसा करता है—यह सिलसिला कभी रुकता नहीं। लेकिन जब तक वह उस साइकिल के दिनों का आनंद लेता, वह आगे की दौड़ में निकल चुका होता है। यह दौड़ हमें थकाती है, लेकिन कभी तृप्त नहीं करती। वास्तविकता यह है कि वर्तमान में जो हमारे पास है, अगर हम उसका आनंद नहीं लेते, तो हम स्वयं को जीवन के वास्तविक सुख से वंचित कर देते हैं। हर व्यक्ति के जीवन में कुछ न कुछ ऐसा होता है, जो कभी उसकी तमन्ना रहा है—चाहे वह एक नौकरी हो, एक घर हो, एक परिवार हो या फिर आत्म-सम्मान और स्वतंत्रता।
जीवन का सार इसी में छुपा है कि हम जो आज हैं और जो हमारे पास है, उसकी कद्र करें। यदि हम हर समय केवल उसी पर ध्यान केंद्रित करते रहें जो हमारे पास नहीं है, तो हमारे पास जो है, उसका सुख हम खो बैठते हैं। संतोष का अर्थ यह नहीं कि हम आगे बढ़ना बंद कर दें, बल्कि इसका मतलब यह है कि हम अपने वर्तमान को स्वीकार करें, उसकी सराहना करें और आगे की यात्रा उसी संतुलन और शांति के साथ करें।
कभी ठहर कर सोचिए—जो आज आपके पास है, क्या कभी आपने उसकी भी कामना नहीं की थी? जब जवाब ‘हां’ में होगा, तो आप समझ पाएंगे कि आज भी आप एक कामना की पूर्ति के बीच खड़े हैं। यह सोच जीवन को नया दृष्टिकोण देती है।
जीवन में संतुलन वही व्यक्ति बना पाता है, जो वर्तमान का स्वाद लेना जानता है। नकारात्मक इच्छाओं के जाल से बाहर निकलकर अगर हम आज की खुशी को पकड़ लें, तो जीवन कहीं अधिक सहज, मधुर और सार्थक हो जाएगा। “जो है, उसी में खुशी ढूंढना सीखिए—क्योंकि खुशी कहीं और नहीं, आपके भीतर ही है।”