– सही लोगों के साथ समय और ऊर्जा बिताना न केवल मानसिक शांति देता है, बल्कि यह आत्म-विकास की दिशा में एक सशक्त कदम भी है
शरद कटियार
हमारे जीवन की सबसे कीमती संपत्तियों में से एक है — ऊर्जा। यह सिर्फ शारीरिक ऊर्जा नहीं, बल्कि मानसिक और भावनात्मक ऊर्जा भी है। हम किसके साथ बातचीत करते हैं, किसके साथ समय बिताते हैं, और किन परिस्थितियों में खुद को शामिल करते हैं — ये सभी हमारे ऊर्जा स्तर को गहराई से प्रभावित करते हैं। इसलिए ज़रूरी है कि हम सजग होकर यह तय करें कि अपनी ऊर्जा कहां खर्च करनी है।
कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनसे मिलने के बाद मन प्रसन्न हो जाता है, सोचने का नजरिया और व्यापक हो जाता है और जीवन के प्रति उत्साह बढ़ता है। ऐसे लोगों के साथ समय बिताने से ऊर्जा न केवल बनी रहती है, बल्कि कई बार बढ़ भी जाती है। ये रिश्ते हमें प्रेरणा देते हैं, हमें प्रोत्साहित करते हैं और जीवन में आगे बढ़ने का साहस देते हैं।
इन रिश्तों में चाहे दोस्ती हो, परिवार हो, या कोई सहयोगी — अगर उनके साथ बात करने से आपके भीतर स्फूर्ति आती है, तो समझ लीजिए कि आपने सही जगह निवेश किया है।
दूसरी ओर, कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिनसे बात करने के बाद थकावट, निराशा, या हीनता का अनुभव होता है। ऐसे लोग अपनी शिकायतों, आलोचनाओं या नकारात्मक नजरिए से हमारी ऊर्जा को चूस लेते हैं। कई बार यह रिश्ता मजबूरी या आदत के कारण बना रहता है, लेकिन यह धीरे-धीरे हमारी मानसिक शांति और आत्म-विश्वास को नुकसान पहुंचाता है।
यह ज़रूरी नहीं कि हम इनसे कटुता के साथ दूर हों, बल्कि समझदारी यही होगी कि दूरी बना कर अपनी ऊर्जा का संरक्षण करें। जब हम अपनी सीमाओं को समझते हैं और उन्हें बनाए रखते हैं, तो हम स्वयं के साथ न्याय करते हैं।
मानसिक ऊर्जा का संरक्षण एक लंबी अवधि का निवेश है। जब हम अपनी ऊर्जा को ऐसे स्थानों पर खर्च करते हैं जहां उसका सकारात्मक प्रतिफल मिलता है, तब हम न केवल अधिक कार्यक्षम बनते हैं, बल्कि संतुलित और प्रसन्नचित्त भी रहते हैं। यह निवेश हमारे आत्म-विकास, निर्णय लेने की क्षमता और जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाता है।
हर बार जब आप किसी के साथ बातचीत करते हैं या समय बिताते हैं, तो अपने मन से एक सवाल जरूर पूछें — क्या यह संबंध मेरी ऊर्जा को बढ़ा रहा है या घटा रहा है? इस प्रश्न का उत्तर ही आपको यह दिशा देगा कि आपको किस रिश्ते को पोषित करना है और किससे दूरी बनानी है।
जीवन सीमित है और ऊर्जा भी। यदि आप अपनी ऊर्जा उन स्थानों, परिस्थितियों और लोगों पर केंद्रित करते हैं जो आपको सकारात्मक बनाते हैं, तो आप न केवल स्वयं के लिए, बल्कि अपने परिवार और समाज के लिए भी बेहतर योगदान दे पाएंगे।
इसलिए याद रखिए — ऊर्जा एक अमूल्य पूंजी है। इसे व्यर्थ न गंवाइए, बल्कि सोच-समझ कर वहां खर्च कीजिए, जहां से उसका प्रतिफल भी ऊर्जा रूप में लौटे।