बीते एक सप्ताह से सर्वर डाउन होने के चलते वापस लौट रहे बाढ़ क्षेत्र के खाता धारक
अमृतपुर/फर्रुखाबाद: गंगा एवं रामगंगा नदियों में एक माह से बाढ़ की विनाश लीला चरम सीमा पर है। जिसके कारण गंगा पार क्षेत्र के एक सैकड़ा के आसपास गांव प्रभावित हुए। इन ग्रामीण (villagers) अंचल में रहने वाली जनता बाढ़ के दर्द को लगातार झेल रही है। कहीं भोजन की कमी कही जानवरों के लिए चारे की समस्या और कहीं रुकने और बैठने के लिए दो गज सूखी जमीन तक नहीं है। कुछ परिवार ऐसे हैं जिन्होंने घर में पानी भर जाने के कारण छतो पर डेरा जमा रखा है।
ऐसे ही तमाम समस्याओं से जूझते बाढ़ पीडित क्षेत्र के ग्रामीण अब एक नई समस्या से भी ग्रसित होते जा रहे हैं। इन ग्रामीणो ने अपनी पूंजी बैंकों में इस वास्ते जमा की कि वह वक्त पर उनके काम आएगी। लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। आर्यावर्त ग्रामीण बैंक (rural banks) अमृतपुर एवं राजपुर में स्थापित है। परंतु अब इसका नाम बदलकर उत्तर प्रदेश ग्रामीण बैंक रख दिया गया और इस बैंक में बडौदा बैंक प्रतिमा यूपी बैंक को सम्मिलित किया गया। जिसके कारण इन तीन बैंकों के समाहित योजना में काफी समय लग रहा है।
इन बैंकों को एक करने का काम लगातार चल रहा है। जिससे डाटा माइग्रेशन का काम प्रगति पर होने के कारण यहां आने वाले ग्रामीण क्षेत्र के ग्राहकों को काफी दिक्कतें हो रही हैं। ना तो इन्हें बैंक से पैसा मिल पा रहा है और ना ही इनका धन उसमें जमा हो पा रहा है। क्योंकि अब इन बैंकों में एक्टिविटी पूर्ण रूप से ध्वस्त चल रही है। जिसके कारण दूर दराज गांवों से आने वाले बाढ़ पीड़ित लोग इस बैंक में सुबह से शाम तक बैठे रहते हैं परंतु इनका काम नहीं हो पाता।
यहां आने वाले लोग सुग्रीव खुशाली नगला धनपाल सिंह पिथनापुर श्रीकांत त्रिवेदी लीलापुर प्रभु दयाल नगला हूसा राकेश सिंह नगला हूसा सदा प्यारी दौलतियापुर रामप्यारी मंझा हरिदत्त करनपुर घाट वीरपाल बनारसीपुर आदि दर्जनो गांवो के लोग चंद रुपए निकालने के लिए अपना समय बर्बाद करते हैं। किसी को 1000 की जरूरत है तो कोई 2000 के लिए यहां रुका हुआ है और किसी को अपने बूढ़े मां-बाप की दवाई के लिए 5000 हजार रुपये की जरूरत है और कोई अपने घर की गृहस्थी का सामान खरीदने के वास्ते अपने जमा किए हुए धन को निकालना चाहता है।
परंतु सर्वर डाउन होने की वजह से बैंक में बैठे कर्मचारी भी मजबूर हो जाते हैं। शाखा प्रबंधक अनुराग सिंह ने बताया कि बैंक में कनेक्टिविटी की स्थिति बीते एक सप्ताह से भी अधिक समय से खराब चल रही है। दूर दराज से आने वाले खाता धारक निराश होकर वापस चले जाते हैं। कभी-कभी जरूरत पड़ने पर राजपुर बैंक के लिए कर्मचारियों को भेजा जाता है।
अगर वहां कनेक्टिविटी होती है तो कुछ काम चल जाता है। लेकिन फिर भी सभी ग्राहक संतुष्ट नहीं हो पाते। ऐसी स्थिति में उच्च अधिकारियों को चाहिए की बाढ़ प्रभावित क्षेत्र की इन बैंकों का काम सुचारू ढंग से चलाया जाए। जिससे बाढ़ क्षेत्र के पीड़ित ग्रामीणों को समस्याओं का सामना न करना पड़े और उनके रोजमर्रा के काम चलाते रहे।