– कुख्यात माफिया अनुपम दुबे और संजीव प्रिया को जेल भिजवाने में जवाहर ने निभाई थी एवं भूमिका
– संयोजित तरीके से उनकी हत्या करने और घर नष्ट नाबूत करने के षड्यंत्र का पर्दाफाश
फर्रुखाबाद। जिले में दुर्दांत माफिया अनुपम दुबे के आतंक के खात्मे में अहम भूमिका निभाने वाले फतेहगढ़ बार के पूर्व अध्यक्ष एडवोकेट जवाहर सिंह गंगवार इन दिनों गंभीर खतरे से जूझ रहे हैं। बताया जा रहा है कि माफिया के प्रभाव को समाप्त करने के दौरान उन्होंने शासन और प्रशासन के साथ मिलकर कार्य किया था, जिसके चलते माफिया के करीबी और उस समय बार के सचिव रहे संजीव पारिया को भी जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाया गया।
इस कार्रवाई से नाराज माफिया के बाहर घूम रहे भाइयों के गुर्गे अब भगवान परशुराम के नाम का सहारा लेकर एक मामूली बात को तूल देकर गंगवार के खिलाफ मोर्चा खोल चुके हैं। सूत्रों के अनुसार, गंगवार को जान का खतरा है और किसी भी समय सुनियोजित रणनीति के तहत आक्रोशित भीड़ के जरिए उन पर जानलेवा हमला हो सकता है। भयवश वे जिला छोड़ने को मजबूर हो गए हैं। उनके परिजनों ने शासन-प्रशासन से तत्काल सुरक्षा मुहैया कराने की मांग की है।
इस पूरे मामले में सोशल मीडिया पर गंगवार के खिलाफ अभद्र टिप्पणियाँ करने वाले कई लोगों का आपराधिक इतिहास सामने आया है, जो स्थिति को और भी गंभीर बना रहा है।
वहीं, समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने PDA के समर्थक के रूप में गंगवार के मामले का संज्ञान लिया है। पार्टी के स्थानीय और प्रांतीय स्तर पर गंगवार को समर्थन मिलना शुरू हो गया है, जिससे अब यह मामला सियासी गलियारों में भी चर्चा का विषय बन गया है।
अगर शासन और प्रशासन ने समय रहते कदम नहीं उठाए, तो यह एक सख्त माफिया विरोधी आवाज को दबाने का उदाहरण बन सकता है। जिले की जनता गंगवार जैसे निर्भीक अधिवक्ताओं से उम्मीद करती है कि वे अपराध और अन्याय के खिलाफ डटकर खड़े रहें।