धर्मशाला: धर्मशाला (dharmshala) में सोमवार को उस समय राजनीति गरमा गई जब मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुखू (Chief Minister Sukhwinder Singh Sukhu) ने चिट्टा विरोधी वॉकथॉन को संबोधित करते हुए चल रहे “राधे-राधे” विवाद पर तीखी प्रतिक्रिया दी। मंच पर आते ही मुख्यमंत्री ने खुद “राधे-राधे” के नारे लगाए, जिससे विपक्ष को स्पष्ट संदेश गया कि धार्मिक नारों का राजनीतिकरण करने की कोशिशें अब बर्दाश्त नहीं की जाएँगी।
यह राजनीतिक विवाद दो दिन पहले तब शुरू हुआ था जब धर्मशाला स्टेडियम में स्कूली बच्चों ने मुख्यमंत्री का “राधे-राधे” कहकर अभिवादन किया था। मुख्यमंत्री ने उनसे बस इतना पूछा था, “आप राधे-राधे क्यों कहते हैं?”, लेकिन भाजपा ने इस बातचीत को राजनीतिक मोड़ दे दिया और गरमागरम बहस शुरू हो गई। आज के चिट्टा विरोधी वॉकथॉन में बड़ी संख्या में युवाओं, छात्रों, सामाजिक संगठनों और स्थानीय निवासियों ने भाग लिया।
भाजपा पर निशाना साधते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि विपक्ष के पास मुद्दे खत्म हो गए हैं और अब वे छोटी-छोटी बातों को बढ़ा-चढ़ाकर सुर्खियाँ बटोरने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा विधानसभा में गंभीर मुद्दों पर चर्चा से बचती है, लेकिन बाहर धार्मिक प्रतीकों और नारों पर राजनीति करती है।
सुक्खू ने पिछली भाजपा सरकार पर राज्य की अर्थव्यवस्था को कमजोर करने, कीमती संपत्तियों को औने-पौने दामों पर बेचने और हिमाचल प्रदेश को आर्थिक नुकसान पहुँचाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि नशे के खिलाफ एक महत्वपूर्ण अभियान को भी भाजपा राजनीतिक चश्मे से देख रही है, जबकि यह सीधे तौर पर युवाओं और समाज के भविष्य से जुड़ा है।
मुख्यमंत्री ने पलटवार करते हुए कहा, “चाहे मैं किसी के घर खाना खाऊँ या किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में शामिल होऊँ, भाजपा हर चीज़ में राजनीति ढूंढ लेती है। जिनके पास कोई मुद्दा नहीं है, वे सनातन धर्म जैसे पवित्र विषय को भी राजनीतिक हथियार बना लेते हैं। जो लोग सनातन धर्म का राजनीतिकरण करते हैं, वे सच्चे सनातनी हिंदू नहीं हो सकते।”


