लखनऊ: लखनऊ स्थित पुलिस मुख्यालय (Police Headquarters) के सभागार में प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसका उद्देश्य बाल हितैषी पुलिसिंग को बढ़ावा देना रहा। “नन्हे परिंदे” (Little Birds) परियोजना के अंतर्गत आयोजित इस कार्यशाला में लखनऊ ट्रैफिक पुलिस के 250 कर्मियों तथा 50 महिला फ्रंटलाइन वर्कर्स ने सहभागिता की।
यह पहल लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट, चेतना संस्था और एचसीएल फाउंडेशन की संयुक्त साझेदारी से साकार हो रही है। कार्यशाला का संचालन चेतना संस्था के निदेशक एवं प्रशिक्षण संयोजक संजय गुप्ता द्वारा किया गया, जबकि इसका आयोजन पुलिस आयुक्त के मार्गदर्शन और डीसीपी (ट्रैफिक) कमलेश कुमार दीक्षित के प्रत्यक्ष पर्यवेक्षण में संपन्न हुआ।
कार्यक्रम में मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय, ट्रैफिक पुलिस, मीडिया प्रतिनिधि सहित विभिन्न संबंधित विभागों की सहभागिता रही। सत्र में बच्चों के प्रति संवेदनशीलता, बाल संरक्षण नीतियां, और अपराध की स्थिति में बच्चों से संबंधित प्रक्रियाओं पर व्यापक चर्चा की गई। इस अवसर पर “नन्हे परिंदे” मोबाइल वैन का विशेष प्रदर्शन किया गया। कुछ बच्चों ने मंच पर अपने अनुभव साझा कर कार्यक्रम को भावनात्मक एवं प्रभावी बनाया।
डिप्टी सीएमओ, डॉ. ज्योति कामले ने कहा कि यौन अपराधों या अन्य अपराधों के शिकार बच्चों के लिए सरकार द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों का पालन करना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने पुलिस अधिकारियों को रेप किट की उपयोगिता एवं प्रक्रिया के विषय में प्रशिक्षण प्रदान किया। डीसीपी ट्रैफिक कमलेश कुमार दीक्षित ने प्रशिक्षण के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा, “पुलिसकर्मियों को बच्चों से संबंधित मामलों में त्वरित और समन्वित कार्यवाही करनी चाहिए। यह कार्यशाला विभिन्न विभागों के बीच सहयोग और स्पष्टता को बढ़ाने में सहायक रही है।”
मीडिया की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए, टाइम्स ऑफ इंडिया के पत्रकार पथिकृत चक्रबर्ती ने कहा कि मीडिया बाल संरक्षण की दिशा में एक सशक्त माध्यम है, जो बच्चों के अधिकारों से जुड़े मुद्दों को समाज के सामने लाकर जागरूकता फैलाता है। लखनऊ के जॉइंट कमिश्नर बब्लू कुमार ने इस अवसर पर कहा, “हर बच्चे को सुरक्षित और अधिकारपूर्ण वातावरण देना पुलिस की जिम्मेदारी है। प्रशिक्षण से पुलिसकर्मियों में संवेदनशीलता व सहयोग की भावना विकसित होती है।”
एचसीएल फाउंडेशन की निदेशक डॉ. निधि पुंधीर ने अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हुए कहा, “हमारा मानना है कि हर बच्चे को सुरक्षा और विकास के समान अवसर मिलने चाहिए। ‘नन्हे परिंदे’ परियोजना, बाल सुरक्षा के क्षेत्र में एक प्रभावशाली प्रयास है।” चेतना संस्था के निदेशक संजय गुप्ता ने बताया कि पुलिसकर्मी अक्सर संकट में पड़े बच्चों से संपर्क करने वाले प्रथम अधिकारी होते हैं, अतः उनका बाल संरक्षण के प्रति सशक्त, संवेदनशील और जागरूक होना अनिवार्य है। यह प्रशिक्षण कार्यशाला बाल सुरक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में सामने आई है, जिससे न केवल पुलिस व्यवस्था में जागरूकता बढ़ेगी, बल्कि बच्चों के साथ समाज का व्यवहार भी अधिक मानवीय और सहयोगी बन सकेगा।