- सोशल मीडिया पर लाखों फॉलोअर्स, युवाओं के बीच जबरदस्त पकड़, दलित राजनीति में बन रहे वैकल्पिक चेहरा
प्रशांत कटियार
लखनऊ । भीम आर्मी के संस्थापक और आज़ाद समाज पार्टी (कांशीराम) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर आज़ाद रावण तेजी से देश की राजनीति में एक सशक्त और उभरते हुए नेता के रूप में सामने आ रहे हैं। उनकी लोकप्रियता न सिर्फ सोशल मीडिया पर रिकॉर्ड बना रही है, बल्कि जमीनी स्तर पर भी वह खासकर दलित, पिछड़ा और अल्पसंख्यक वर्गों में विशेष प्रभाव छोड़ रहे हैं।
2024 के लोकसभा चुनाव में भले ही चंद्रशेखर केवल नगीना सीट से चुनाव मैदान में उतरे, लेकिन उन्होंने करीब 21% वोट शेयर हासिल कर सभी को चौंका दिया। यह प्रदर्शन एक नई पार्टी के लिए उल्लेखनीय माना गया।
सोशल मीडिया पर जबरदस्त फॉलोइंग
चंद्रशेखर आज़ाद की डिजिटल मौजूदगी किसी बड़े राष्ट्रीय नेता से कम नहीं है। उनके सोशल मीडिया
प्लेटफॉर्म फॉलोअर्स मे
Twitter (X) 15.3 लाख+
Facebook 21 लाख+
Instagram 11.5 लाख+
YouTube 7.2 लाख+ हैं।
हाल ही में उनकी संविधान बचाओ यात्रा की लाइव स्ट्रीम को केवल फेसबुक पर 19 लाख से अधिक बार देखा गया। औसतन उनकी हर पोस्ट पर 50 हजार से अधिक इंटरेक्शन हो रहे हैं।
18 से 35 आयु वर्ग के युवा उनकी राजनीति में न सिर्फ रुचि ले रहे हैं, बल्कि सक्रिय भागीदारी भी कर रहे हैं। वर्ष 2025 की पहली छमाही में भीम आर्मी की सदस्यता के लिए 1.2 लाख से अधिक आवेदन प्राप्त हुए हैं। युवाओं में उन्हें “संविधान का सच्चा सिपाही” और “नई सोच का नेता” माना जा रहा है।
उत्तर प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, बिहार और मध्यप्रदेश में भीम आर्मी की 750 से अधिक सक्रिय इकाइयाँ हैं। हाथरस कांड, CAA-एनआरसी विरोध, पेपर लीक आंदोलन और दलित उत्पीड़न जैसे मामलों में उनकी सक्रिय भागीदारी ने उन्हें गरीब, वंचित और संघर्षरत जनता के बीच लोकप्रिय बना दिया है।
अपने एक भाषण में चंद्रशेखर ने कहा –
“मैं राजनीति सत्ता के लिए नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय और संविधान की रक्षा के लिए कर रहा हूँ। मेरा मार्गदर्शक डॉ. भीमराव आंबेडकर हैं।”
वे बहुजन आंदोलन को पुनर्जीवित करने और डॉ. आंबेडकर तथा मान्यवर कांशीराम के अधूरे सपनों को साकार करने की दिशा में काम कर रहे हैं।
विश्लेषण: क्यों बढ़ रही है लोकप्रियता?सीधा, निर्भीक और स्पष्ट संवाद शैली, जातिवादी राजनीति से इतर “संविधानवादी राजनीति” का नारा, युवा और शिक्षित वर्ग का झुकाव,जमीन पर संघर्ष और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर असरदार उपस्थिति भी बड़ी बात है।
चंद्रशेखर आज़ाद अब केवल एक सामाजिक कार्यकर्ता नहीं, बल्कि एक वैकल्पिक राजनीतिक शक्ति के रूप में उभर रहे हैं। जिस प्रकार युवाओं का समर्थन और वंचित वर्गों का भरोसा उन्हें मिल रहा है, वह भविष्य के राजनीतिक परिदृश्य को बदल सकता है।