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Saturday, August 23, 2025

अनिल अंबानी के ठिकानों पर सीबीआई की रेड, एफआईआर भी हुई दर्ज

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– एसबीआई से 2000 करोड़ रुपए के लोन-फ्रॉड का मामला

नई दिल्ली: CBI ने Anil Ambani की कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCOM) के खिलाफ 2,000 करोड़ रुपए से ज्यादा के बैंक फ्रॉड के मामले में केस दर्ज किया है। अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस के खिलाफ केंद्रीय जांच ब्यूरो ने बैंक फ्रॉड के मामले में केस दर्ज किया (FIR also registered) है। इस कार्रवाई के तहत सीबीआई ने अनिल अंबानी से जुड़े कई ठिकानों और कंपनी के दफ्तरों पर छापेमारी की। यह मामला स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के साथ हुए 2,000 करोड़ रुपए से अधिक के लोन फ्रॉड से जुड़ा है।

बताते चले की सीबीआई की कार्रवाई उस वक्त सामने आई है जब केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में जानकारी दी थी कि एसबीआई ने इस फ्रॉड के खिलाफ सीबीआई को शिकायत दर्ज कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। साथ ही बैंक ने अनिल अंबानी के खिलाफ व्यक्तिगत दिवालिया प्रक्रिया भी शुरू की है, जो वर्तमान में मुंबई स्थित नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल में विचाराधीन है। इससे पहले 23 जुलाई को प्रवर्तन निदेशालय ने भी अनिल अंबानी के रिलायंस ग्रुप से जुड़े 35 से ज्यादा स्थानों पर छापेमारी की थी। वह कार्रवाई यस बैंक से लिए गए 3,000 करोड़ रुपए के लोन की धोखाधड़ी से जुड़ी थी।

ताजा मामले में यह आरोप है कि रिलायंस ग्रुप की कंपनियों ने स्टेट बैंक से लोन लिया और उस धन का सही उपयोग नहीं किया। कंपनी पर आरोप है कि लोन की राशि को अन्य कंपनियों में ट्रांसफर किया गया और उसे गलत तरीके से खर्च किया गया। यह भी बताया गया है कि कंपनी ने जानबूझकर लोन की रकम को नियमों के खिलाफ इस्तेमाल किया और उसे समय पर चुकाया भी नहीं, जिससे यह धोखाधड़ी का मामला बना।

इससे पहले भी सीबीआई दो अन्य मामलों में एफआईआर दर्ज कर चुकी है, जिनमें यस बैंक द्वारा रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड और रिलायंस कॉमर्शियल फाइनेंस लिमिटेड को दिए गए लोन शामिल हैं। इन मामलों में यस बैंक के पूर्व सीईओ राणा कपूर का नाम भी सामने आया था। जांच एजेंसियों के अनुसार, यह पूरा मामला एक योजनाबद्ध साजिश का हिस्सा था, जिसमें बैंकों, निवेशकों और शेयरधारकों को गुमराह करके धन प्राप्त किया गया। प्रवर्तन निदेशालय की रिपोर्ट में इस योजना को “सोचा-समझा और सुनियोजित” बताया गया है।

जांच में कई अनियमितताएं उजागर हुई हैं, जैसे फर्जी या कमजोर कंपनियों को बिना उचित सत्यापन लोन देना, एक ही पते और डायरेक्टर का बार-बार उपयोग, जरूरी दस्तावेजों का अभाव, और पुराने लोन को चुकाने के लिए नए लोन देना जैसी प्रक्रियाएं अपनाना। यह भी सामने आया है कि अनिल अंबानी की कंपनी ने एसबीआई से लिए गए करीब 31,580 करोड़ रुपए के लोन में से 13,667 करोड़ रुपए अन्य कंपनियों के कर्ज चुकाने में और 12,692 करोड़ रुपए रिलायंस ग्रुप की अन्य कंपनियों को ट्रांसफर कर दिए।

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने अनिल अंबानी और उनकी कंपनी को “फ्रॉड” घोषित कर दिया है और कहा है कि वह इस मामले में पूरी गंभीरता से सीबीआई और अन्य एजेंसियों के साथ मिलकर जांच कर रहा है। वर्तमान में दिवालियापन से संबंधित कार्यवाही भी मुंबई एनसीएलटी में लंबित है। यह मामला देश के कॉर्पोरेट इतिहास में एक और बड़ा वित्तीय घोटाला बन सकता है, जिसकी गूंज लंबे समय तक सुनाई दे सकती है।

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