लखनऊ। हिन्दुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड के तीन अधिकारियों अरुणी कुमार, धीरेज मिश्रा और अवधेश सिंह के खिलाफ बीएनएस की धारा 318(4), 316(2), 115(2), 352, 351(2) जैसी गंभीर धाराओं में मामला दर्ज होने के बावजूद अब तक न तो इन्हें निलंबित किया गया है और न ही किसी प्रकार की प्रारंभिक विभागीय कार्रवाई शुरू की गई है।
जानकारी के अनुसार, ये तीनों अधिकारी एक गंभीर मामले में जांच के घेरे में हैं। पुलिस द्वारा दर्ज प्राथमिकी में आरोप है कि इन्होंने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए संगठित रूप से धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश को अंजाम दिया। ये धाराएं न केवल सेवा नियमों के विरुद्ध हैं बल्कि सार्वजनिक संस्थानों की साख पर भी सीधा प्रहार करती हैं।
सबसे चिंताजनक बात यह है कि निलंबन न होने से इन अधिकारियों के हौसले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, वे अब पीड़ित पक्ष पर दबाव बना रहे हैं, गवाहों को डराया जा रहा है, और पुलिस जांच को भी प्रभावित करने की कोशिशें हो रही हैं।
एचयूआरएल जैसे सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम में, जहाँ पारदर्शिता और जवाबदेही की बात की जाती है, वहां ऐसे मामलों में ऊपरी स्तर पर चुप्पी और निष्क्रियता कई सवाल खड़े कर रही है। जब छोटे कर्मचारियों को मामूली गलती पर सस्पेंड कर दिया जाता है, तब ऐसे गंभीर आरोपों के बावजूद बड़े अधिकारियों को संरक्षित किया जाना ‘दोहरी नीति’ का उदाहरण बन चुका है।