पीड़िता को नहीं पुलिस पर भरोसा, आरोपी बेखौफ, मंचों की बढ़ा रहे शोभा
फर्रुखाबाद: हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड (HURL) के तीन अधिकारियों आरुणि कुमार, धीरज मिश्रा और अवधेश सिंह के खिलाफ 8 मई 2025 को कोतवाली फर्रुखाबाद (Farrukhabad) में गंभीर आपराधिक धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की जा चुकी है, लेकिन हैरानी की बात है कि आज तक न तो कोई गिरफ्तारी हुई और न ही इन अधिकारियों को निलंबित किया गया।
एफआईआर में धोखाधड़ी, धमकी, आर्थिक और मानसिक उत्पीड़न जैसे संगीन आरोप शामिल हैं। यह धारा गैर-जमानती है, फिर भी पुलिस की कार्यवाही शून्य बनी हुई है। पीड़िता पूनम सक्सेना ने बताया कि उनके पुत्र निशांत गौरव को झूठे आधार पर फंसाकर 50 लाख की रिश्वत मांगी गई। पूरी रकम न दे पाने पर लगभग 13 लाख की जबरन वसूली की गई। पीड़िता ने पहले कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज करवानी चाही, लेकिन पुलिस ने टालमटोल किया। अंततः उन्हें न्यायालय की शरण लेनी पड़ी, जिसके आदेश पर ही मामला दर्ज हो सका।
पुलिस की भूमिका संदिग्ध
एफआईआर दर्ज होने के बावजूद अब तक कोई गिरफ्तारी या विभागीय कार्रवाई नहीं होना, यह साफ दर्शाता है कि पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर प्रश्नचिह्न खड़े हो गए हैं। सवाल यह है कि क्या पुलिस किसी दबाव में काम कर रही है या फिर जानबूझकर मामले को ठंडे बस्ते में डाल रही है?
आरोपी बेखौफ, मंचों पर मौजूद
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि जिन अधिकारियों पर ये गंभीर आरोप हैं, वे आज भी कंपनी में अपने पदों पर बने हुए हैं, बल्कि सार्वजनिक कार्यक्रमों में खुलकर शिरकत कर रहे हैं और मंच की शोभा बन रहे हैं। बताया जा रहा है कि आरोपी अधिकारी कंपनी के प्रबंध निदेशक को भी गुमराह कर रहे हैं, जिससे उनके खिलाफ कोई ठोस कदम न उठाया जा सके।
पीड़िता ने कहा, हमें न्यायपालिका पर भरोसा है लेकिन पुलिस जिस तरह से मामले को दबा रही है, उससे हमारा भरोसा टूट रहा है। आरोपी अधिकारियों के हौसले बुलंद हैं।