शरद कटियार
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक आज प्रदेश की राजनीति में प्रशासनिक दक्षता, संवेदनशीलता और दृढ़ इच्छाशक्ति का सबसे प्रभावशाली चेहरा बन चुके हैं।
उनकी एक-के-बाद-एक मजबूत और मानवीय फैसलों की वजह से स्वास्थ्य विभाग में वह बदलाव देखने को मिल रहा है, जिसकी जनता को बरसों से प्रतीक्षा थी।
हाल ही में लिया गया “रात्रिकालीन पोस्टमार्टम” का निर्णय उनके नेतृत्व की गहराई और संवेदनशील सोच का प्रमाण है।
ब्रजेश पाठक उन विरले नेताओं में से हैं जो “प्रोटोकॉल” से नहीं, जनता के दुख-दर्द से चलना जानते हैं।
जब उन्हें यह जानकारी मिली कि रात में पोस्टमार्टम न होने के कारण गरीब व ग्रामीण परिवारों को शव को संभाल कर अगली सुबह तक इंतजार करना पड़ता है, तो उन्होंने तुरंत विभागीय रुकावटों को दरकिनार कर आदेश जारी कर दिया कि अब से रात में भी पोस्टमार्टम होगा।
यह निर्णय दिखाता है कि ब्रजेश पाठक के लिए मंत्रालय कोई पद नहीं, बल्कि सेवा का माध्यम है।
जब प्रदेश के अन्य मंत्री फाइलों में उलझे रहते हैं, ब्रजेश पाठक सीधे अस्पताल पहुंचते हैं।
जब डॉक्टर लापरवाह होते हैं, वह जमीनी कार्रवाई करते हैं, प्रेस कांफ्रेंस नहीं।
उन्होंने एक-एक स्वास्थ्य केंद्र को दुरुस्त करने का संकल्प लिया, और अब उत्तर प्रदेश की तस्वीर बदल रही है।
उनका हर दौरा, हर निरीक्षण और हर बयान स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
ब्रजेश पाठक का व्यक्तित्व उन्हें अन्य नेताओं से अलग करता है। वो न तो किसी खास जाति की राजनीति करते हैं, न ही मीडिया की सुर्खियों के लिए घोषणाएं करते हैं। उनकी सबसे बड़ी ताकत है – परिणाम देना।
यही वजह है कि स्वयं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी स्वास्थ्य व्यवस्था के पुनर्गठन में उन्हें अपना सबसे विश्वसनीय सहयोगी मानते हैं।
पोस्टमार्टम का निर्णय: उत्तर प्रदेश की सोच बदल दी
रात में पोस्टमार्टम की अनुमति देना एक छोटा फैसला नहीं है, यह decades-old सोच को चुनौती देने जैसा है।
जहां अधिकारी कहते थे “रूल यही है”, वहां ब्रजेश पाठक ने कहा “जनता का दुख बड़ा है” – और फैसला ले लिया।
यह एक संवेदनशील प्रशासक का निर्णय था,
यह एक सच्चे जनप्रतिनिधि की चिंता थी,
और यह एक दूरदर्शी मंत्री की हिम्मत थी।
आज उत्तर प्रदेश की जनता मानती है कि अगर कोई मंत्री सुनता है, समझता है और तत्काल कार्रवाई करता है, तो वह ब्रजेश पाठक हैं।
वह फील्ड में हैं, सिस्टम में हैं और लोगों के दिल में हैं। चाहे वह डॉक्टरों की उपस्थिति हो, दवाओं की आपूर्ति हो, PHC-CHC का स्तर हो या मेडिकल कॉलेजों की निगरानी – हर फ्रंट पर ब्रजेश पाठक ने खुद को “परफॉर्मिंग लीडर” साबित किया है।
ब्रजेश पाठक न तो सिर्फ आदेश देने वाले मंत्री हैं, न ही भाषण देने वाले राजनेता—वह एक ऐसे कर्मयोगी हैं, जो उत्तर प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था को नई ऊंचाई तक ले जा रहे हैं।
उनका हर निर्णय, हर दौरा, हर निरीक्षण यह साबित करता है कि जब मंत्री खुद मैदान में हो, तो सिस्टम बदलने से कोई नहीं रोक सकता।