प्रधान संपादक – शरद कटियार, दैनिक यूथ इंडिया
विधि जगत के गौरवशाली इतिहास (glorious history) को शब्दों में पिरोना केवल लेखनी का कौशल नहीं, बल्कि एक संवेदनशील दायित्व भी है। वरिष्ठ अधिवक्ता एवं साहित्यकार जवाहर सिंह गंगवार द्वारा संपादित “विधि प्रहरी” (Vidhi Senthari) इस दायित्व का निर्वाह एक उत्कृष्ट उदाहरण के रूप में हमारे सामने आती है।
यह ग्रंथ बार एसोसिएशन फतेहगढ़ के संपूर्ण इतिहास का जीवंत दस्तावेज है। इसमें न केवल संस्थागत यात्रा का वर्णन है, बल्कि उन सैकड़ों अधिवक्ताओं का भी उल्लेख है जिन्होंने अपने ज्ञान, संघर्ष और निष्ठा से न केवल फतेहगढ़ बार को बल्कि प्रदेश और राष्ट्र को भी गौरवान्वित किया। इस पुस्तक को पढ़ते हुए यह सहज अनुभव होता है कि यह मात्र सूचनाओं का संकलन नहीं, बल्कि विधि परंपरा और उसकी गहराई को आत्मसात कराने वाली रचना है।
गंगवार जी स्वयं दो बार बार एसोसिएशन के अध्यक्ष रहे हैं, अनेक साहित्यिक कृतियों के रचयिता और कई प्रतिष्ठित सम्मानों से अलंकृत हस्ताक्षर हैं। अपने अनुभव, अनुशासन और समर्पण से उन्होंने इस पुस्तक को एक ऐतिहासिक धरोहर का स्वरूप दिया है। यह केवल अधिवक्ता समुदाय ही नहीं, बल्कि समाज के प्रत्येक विचारशील नागरिक के लिए पठनीय और संग्रहणीय है।
पुस्तक की विशेषता यह है कि इसमें फतेहगढ़ बार के शताब्दियों पुराने वैभव को बड़ी ही संजीदगी से उकेरा गया है। विधि क्षेत्र में योगदान देने वाले दिग्गज अधिवक्ताओं के जीवन प्रसंग, उनकी वैचारिक दृष्टि और संघर्ष यात्रा को पढ़ते हुए एक ओर प्रेरणा मिलती है तो दूसरी ओर गौरव का अनुभव भी होता है।
लेखक के साथ मेरा चार दशकों का आत्मीय संपर्क रहा है। विचारधारा के स्तर पर वो हमारे प्रेरणास्रोत रहे हैं, और साहित्य व समाज के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को मैंने निकट से देखा है। इस कृति में फर्रुखाबाद को उच्चतम स्थान देकर उन्होंने मुझे व्यक्तिगत रूप से भी गौरवान्वित किया है, जिसके लिए मैं उनका हृदय से आभार व्यक्त करता हूं।
“विधि प्रहरी” न केवल अतीत का स्मरण कराती है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए दिशा-दर्शक का कार्य भी करेगी। इस अमूल्य ग्रंथ के लिए संपादक श्री गंगवार जी को हार्दिक शुभकामनाएं और उनके सुखद, दीर्घ जीवन की मंगलकामना।