नई दिल्ली/फर्रुखाबाद। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने एक बार फिर से अपने “सबका साथ, सबका विकास” नारे को नए अंदाज में परिभाषित किया है। इस बार पार्टी ने पिछड़ा वर्ग और दलित समाज के नेताओं को “प्रतीक्षा सूची” में रखकर उन्हें धैर्य और संयम की सीख दी है।
आरक्षण नहीं, आरक्षित स्थान
बीजेपी के सूत्रों के अनुसार, पार्टी ने तय किया है कि पिछड़ों और दलितों को संगठन में उचित स्थान मिलेगा—पर “सही समय” पर। यह “सही समय” कब आएगा, इस पर पार्टी अभी विचार कर रही है।
पिछड़ों में लोधी समाज को मिला तोहफा, बाकी OBC को शुभकामनाएं
नवनियुक्त जिलाध्यक्षों के चयन से लोधी समाज में थोड़ी खुशी की लहर दौड़ गई, वहीं अन्य पिछड़ी जातियों और दलित समाज के नेता आशा और विश्वास के साथ अगले चुनाव का इंतजार करने को मजबूर हैं। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने आश्वासन दिया कि “बीजेपी का दिल बड़ा है, स्थान भी मिलेगा, पर थोड़ी प्रतीक्षा जरूरी है।”
“सब्र करो, सरकार तुम्हारे साथ है”
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि बीजेपी ने पिछड़ों और दलितों के लिए एक नई रणनीति अपनाई है, जिसका नाम “इंतजार करो योजना” रखा गया है। इस योजना के तहत, पिछड़ा वर्ग और दलित नेताओं को पहले मेहनत करने, पार्टी के लिए संघर्ष करने और फिर भविष्य में किसी महत्वपूर्ण पद की उम्मीद रखने का सुझाव दिया गया है।
पार्टी नेताओं की प्रतिक्रिया:
✔ “बीजेपी सभी जातियों का सम्मान करती है, पर निर्णय लेने का अधिकार शीर्ष नेतृत्व के पास सुरक्षित है।” – वरिष्ठ बीजेपी नेता
✔ “हम पार्टी के फैसले का स्वागत करते हैं, हालांकि हमें भी संगठन में उचित स्थान मिलना चाहिए।” – एक वरिष्ठ पिछड़ा वर्ग नेता
✔ “हम बस यही उम्मीद कर सकते हैं कि अगली बार हमें भी याद किया जाएगा।” – दलित समाज के एक नेता
बीजेपी की यह नई रणनीति पार्टी के समावेशी होने की पुष्टि करती है—”सभी को साथ लेकर चलने की बात तो होगी, पर आगे कौन चलेगा, यह पार्टी तय करेगी।” पिछड़ा वर्ग और दलित नेताओं को फिलहाल “प्रतीक्षा कक्ष” में बैठकर अगले आदेश का इंतजार करना होगा।