शाहजहांपुर की समीक्षा बैठक में भंडाफोड़ — ठेकेदार यूनिवर्सल कंपनी पर दर्जनों आरोप, एफआईआर की मांग
शाहजहांपुर। उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जनपद में बिजली विभाग पूरी तरह से भ्रष्टाचार, लापरवाही और जनविरोधी कार्यशैली का प्रतीक बन चुका है। अब तक विपक्ष ही इन आरोपों को उठाता था, लेकिन इस बार खुद सत्तारूढ़ भाजपा के विधायक अपनी सरकार के ही विभागीय अधिकारियों के खिलाफ सड़क पर उतरने को मजबूर हैं।
शुक्रवार को कलेक्ट्रेट सभागार में हुई बिजली विभाग की समीक्षा बैठक में वह सब कुछ हुआ, जो किसी सुशासित तंत्र में नहीं होना चाहिए। बैठक की अध्यक्षता कर रहे राज्यसभा सांसद मिथिलेश कुमार कठेरिया ने सीधे-सीधे कहा कि,यूनिवर्सल कंपनी ने भ्रष्टाचार का खजाना खोल रखा है। इन्हें जेल भेजना होगा।”
कंपनी को ठेका, जनता को ठगना!
यूनिवर्सल कंपनी को बिजली विभाग ने ज़िले में कार्य कराने के लिए ठेका तो दे दिया, लेकिन इस कंपनी ने लापरवाही, घटिया निर्माण और फर्जी बिलिंग का ऐसा तंत्र खड़ा कर दिया कि अब गाँव से लेकर शहर तक हाहाकार मचा है।
पुवायां विधायक चेतराम पासी ने कहा-किसानों के ट्यूबवेल नहीं चल रहे, धान की रोपाई ठप है। बिजली विभाग बहाने बनाता है, समाधान नहीं करता। ये खुला सरकारी मज़ाक है।”
ददरौल विधायक अरविंद सिंह ने विभाग पर ओवरबिलिंग और धन उगाही का आरोप लगाते हुए कहा कि,बिल 4 हजार का होता है, भेजते हैं 12 हजार का। फिर सुधार के नाम पर रिश्वत मांगते हैं। ये सरासर जनता के साथ लूट है।”
फर्जी बिल, जादुई सुधार और रिश्वत की खुली दुकान
तिलहर विधायक सलोना कुशवाहा ने एक ऐसा उदाहरण दिया जो पूरे विभाग की पोल खोलने के लिए काफी है। उन्होंने कहा-एक उपभोक्ता को 8 हजार की जगह 16 हजार का बिल भेजा गया। फिर ऑफिस में जाकर ‘पैसे’ देकर वही बिल 8 हजार का हो गया। क्या बिजली विभाग में कोई जादूगर बैठा है?”
उन्होंने आगे कहा कि विभाग के लाइनमैन बिजली देने तक के लिए पैसे मांगते हैं। ग्रामीण इलाकों में स्थिति बदतर है, जहां 5 घंटे की बिजली भी अब सौदेबाज़ी पर निर्भर हो गई है।
सुनवाई नहीं होती तो हम विधायक किसके लिए हैं?’
बैठक में सभी जनप्रतिनिधियों का एक ही स्वर था — “जब जनता द्वारा चुने गए विधायकों की सुनवाई नहीं हो रही, तो आम नागरिक की कोई सुनवाई कैसे होगी?”
कटरा विधायक वीर विक्रम सिंह उर्फ प्रिंस ने कहा-गढ़िया रंगीन में लो वोल्टेज से किसान बेहाल हैं। मात्र 1-1.5 घंटे बिजली मिल रही है। अधिकारियों से बात करो तो वे टालमटोल करते हैं।”
अधिकारियों की बेशर्मी: कोई जवाब नहीं, कोई कार्य नहीं
बैठक में जब अधिकारियों से जवाब मांगा गया तो सुपरिटेंडिंग इंजीनियर जागेश कुमार ने हर सवाल को टालते हुए सिर्फ इतना कहा-जांच कराएंगे, दोषियों पर कार्रवाई होगी।”लेकिन सवाल है -कब? कितनी जांचें और कितनी बार?
जेपी वर्मा का कार्यकाल: भ्रष्टाचार का कालखंड
सूत्रों का दावा है कि पूर्व अधीक्षण अभियंता जेपी वर्मा के कार्यकाल में सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार हुआ। फर्जी बिल, घटिया लाइनें, चोरी के मीटर, और ठेकेदारों की मनमानी — सब कुछ एक संगठित गिरोह की तरह चलता रहा। यूनिवर्सल कंपनी को इसी दौरान संरक्षण मिला और अब ये पूरे जिले में काली कमाई का सिंडिकेट चला रही है।
जनप्रतिनिधियों की मांग: ठेकेदारों की तुरंत गिरफ्तारी और सत्यापन अभियान
सभी विधायकों ने एकमत होकर कहा यूनिवर्सल कंपनी पर एफआईआर दर्ज हो सभी कार्यों का स्थानीय जनप्रतिनिधियों की निगरानी में सत्यापन कराया जाए लाइनमैनों और जूनियर इंजिनियर स्तर के भ्रष्ट कर्मचारियों पर तत्काल निलंबन हो
बिलिंग प्रणाली की जांच हो जनता के साथ धोखा करने वालों पर फास्ट ट्रैक कार्रवाई हो
जनता की नजरें अब सरकार पर — सवाल एक ही है: कब होगी कार्रवाई?
जब भाजपा विधायक ही बोल रहे हैं कि “अब जनता सरकार को दोषी मानेगी,” तो सरकार के लिए यह चेतावनी है, संकेत नहीं। बिजली विभाग में फैले भ्रष्टाचार के जाले को अगर अब भी साफ नहीं किया गया, तो अगले चुनाव में यह बड़ा मुद्दा बनकर सामने होगा।