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Saturday, September 13, 2025

बिजली कर्मचारियों में उबाल, लेसा में 8,000 पद समाप्त करने के फैसले पर बवाल* 

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उत्तर प्रदेश की बिजली व्यवस्था एक बार फिर बड़े विवाद में आ गई है। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश ने आरोप लगाया है कि पावर कारपोरेशन का शीर्ष प्रबंधन निजीकरण की तैयारी कर रहा है और इसके लिए “वर्टिकल सिस्टम” के नाम पर हजारों पद समाप्त किए जा रहे हैं। समिति ने चेतावनी दी है कि यह कदम प्रदेश की बिजली व्यवस्था को पटरी से उतार देगा और उपभोक्ताओं को भारी परेशानी झेलनी पड़ेगी।

संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने जानकारी दी कि केवल लखनऊ विद्युत आपूर्ति कंपनी (लेसा) में ही 8,000 से अधिक पदों को समाप्त करने का निर्णय लिया गया है। इसमें 2055 नियमित पद और करीब 6000 संविदा कर्मियों के पद शामिल हैं। समिति का कहना है कि यह निर्णय न सिर्फ कर्मचारियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है, बल्कि राजधानी की बिजली आपूर्ति व्यवस्था पर भी गहरा संकट खड़ा करेगा।,

पदाधिकारियों ने बताया कि लेसा में पद कटौती का पैमाना बेहद बड़ा है:

अधीक्षण अभियंता स्तर पर 12 पदों को घटाकर 8 किया जा रहा है।,

अधिशासी अभियंता स्तर पर 50 पद घटाकर 35 किए जा रहे हैं।,

सहायक अभियंता स्तर पर 109 पद घटाकर 86 किए जा रहे हैं।,

अवर अभियंता स्तर पर 287 पद घटाकर 142 किए जा रहे हैं।,

टीजी-2 श्रेणी में 1852 पद घटाकर सिर्फ 503 कर दिए जाएंगे।

इसी तरह लेखा संवर्ग में भी भारी कटौती की जा रही है,

अकाउंटेंट के 104 पद घटाकर 53 किए जा रहे हैं।,

एग्जीक्यूटिव असिस्टेंट के 686 पद घटाकर 280 किए जा रहे हैं।,

कैंप असिस्टेंट के 74 पदों को लगभग समाप्त कर केवल 12 किया जाएगा।

संघर्ष समिति ने कहा कि इस पूरी कार्रवाई में सबसे ज्यादा मार संविदा कर्मियों पर पड़ रही है, जिनके 6000 से अधिक पद खत्म किए जा रहे हैं।

निजीकरण की आशंका और प्रदेशभर में प्रदर्शन,

संघर्ष समिति ने आरोप लगाया कि मध्यांचल, लेसा, केस्को और पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम में जिस तरह से हजारों पद समाप्त किए जा रहे हैं, उससे यह स्पष्ट हो गया है कि सरकार ऊर्जा क्षेत्र का निजीकरण करना चाहती है। पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम इसका पहला चरण मात्र हैं।

संघर्ष समिति ने मुख्यमंत्री से तत्काल हस्तक्षेप की मांग करते हुए कहा कि यदि यह मनमानी नहीं रोकी गई तो बिजली व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो जाएगी।

इस फैसले के विरोध में प्रदेश के सभी जिलों में बिजली कर्मचारियों ने जोरदार प्रदर्शन किया और पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन के खिलाफ अपना आक्रोश व्यक्त किया

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