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Sunday, August 24, 2025

बिजली आपूर्ति बहाली से पहले ही बड़ा झटका: खिमशेपुर औद्योगिक क्षेत्र से गायब हुई विद्युत सामग्री, FIR दर्ज

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          अज्ञात चोरों के खिलाफ मोहम्मदाबाद कोतवाली में दर्ज हुई रिपोर्ट, वर्षों से वीरान पड़ा था औद्योगिक क्षेत्र

मोहम्मदाबाद (फर्रुखाबाद), संवाददाता: खनन और निर्माण के नाम पर वर्षों से उपेक्षित खिमशेपुर औद्योगिक क्षेत्र (Neglected Khimshepur Industrial Area) को पुनर्जीवित करने की राज्य सरकार (state government) की योजना को बड़ा झटका लगा है। क्षेत्र में पूर्व में स्थापित की गई विद्युत आपूर्ति से संबंधित महत्त्वपूर्ण सामग्री, जिनमें लगभग 3300 मीटर विद्युत लाइन (11 केवी और एलटी) तथा दो ट्रांसफार्मर शामिल हैं, मौके से गायब हो गई है। इस संबंध में अवर अभियंता अनिल कुमार अग्रहरी ने अज्ञात चोरों के खिलाफ मोहम्मदाबाद कोतवाली में एफआईआर दर्ज कराई है।

वर्षों से वीरान पड़ा था क्षेत्र, अब फिर से शुरू हो रही है विकास प्रक्रिया

प्राप्त जानकारी के अनुसार, वर्ष 2009-10 में खिमशेपुर औद्योगिक क्षेत्र की स्थापना के तहत वहां दो 100 केवीए के ट्रांसफार्मर और बिजली की लाइनें बिछाई गई थीं। लेकिन अपेक्षित औद्योगिक गतिविधियां न शुरू होने के कारण यह पूरा क्षेत्र लंबे समय तक उपेक्षित और वीरान पड़ा रहा। वर्तमान में उत्तर प्रदेश सरकार और यूपीसीडा की पहल पर क्षेत्र में पुनः औद्योगिक विकास की प्रक्रिया प्रारंभ की गई है। इसी कड़ी में यूपीसीडा के पत्र संख्या 573/यूपीसीडा 1ED-1 दिनांक 24.11.2023 के माध्यम से क्षेत्र में बिजली आपूर्ति बहाल करने के निर्देश दिए गए थे।

अवर अभियंता अनिल अग्रहरी द्वारा 27 नवंबर 2023 को क्षेत्र का भौतिक निरीक्षण किया गया, जिसमें स्पष्ट हुआ कि पूर्व में लगाई गई पूरी बिजली लाइन और ट्रांसफार्मर गायब हैं। मार्च 2024 में कार्यभार संभालने के बाद अनिल अग्रहरी ने दोबारा निरीक्षण किया, लेकिन सामग्री का कोई अता-पता नहीं चला। इसके बाद मोहम्मदाबाद कोतवाली में अज्ञात लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई गई है। अधिकारी ने विद्युत विभाग के माध्यम से पुनः सामग्री की व्यवस्था कर औद्योगिक क्षेत्र में बिजली आपूर्ति शुरू करने की मांग भी की है।

इस घटना ने वर्षों से बिना निगरानी पड़े औद्योगिक क्षेत्रों की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। न तो इस सामग्री की देखरेख के लिए कोई स्थायी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी, और न ही समय-समय पर इसका ऑडिट या मूल्यांकन किया गया। अधिकारियों का कहना है कि यदि समय रहते सुरक्षा का इंतज़ाम होता, तो यह सार्वजनिक संपत्ति इस तरह गायब न होती।

विद्युत विभाग की प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार, गायब हुई सामग्री में लगभग 3300 मीटर लंबी हाई टेंशन (HT) और लो टेंशन (LT) लाइन शामिल हैं, जिनकी बाजार कीमत लाखों में आंकी जा रही है। वहीं दो ट्रांसफार्मर भी पूरी तरह से गायब हैं, जिनका कोई भी अवशेष स्थल पर नहीं मिला है। विभागीय अधिकारियों का मानना है कि यह कार्य पूर्व नियोजित चोरी का हिस्सा हो सकता है, क्योंकि इतनी भारी सामग्री का गायब होना बिना किसी स्थानीय सहयोग या बड़ी योजना के संभव नहीं लगता।

अवर अभियंता की ओर से FIR दर्ज कराए जाने के बाद स्थानीय पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है, लेकिन अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है। वहीं विद्युत विभाग की ओर से नए सिरे से सामग्री की खरीद और आपूर्ति बहाल करने की प्रक्रिया प्रारंभ की जा रही है। इस मामले ने यह स्पष्ट कर दिया है कि औद्योगिक विकास की योजनाएं केवल कागजों पर नहीं, बल्कि ज़मीन पर भी ईमानदारी और निगरानी की मांग करती हैं। यदि समय रहते इन पर ध्यान न दिया गया, तो सरकार की योजनाओं को चोरों और लापरवाह अधिकारियों की लाठी से बार-बार झटका लगता रहेगा।

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