कमालगंज: मनरेगा (MNREGA) जैसी महत्वाकांक्षी योजना (ambitious plan) को कमालगंज ब्लॉक (Kamalganj Block) में भ्रष्टाचार की भट्ठी में झोंक दिया गया है। विकास की बजाय यहां कमीशन का खेल चल रहा है और इस पूरे काले खेल का सूत्रधार है ब्लॉक स्तरीय एक मनरेगा कर्मी, जो बेखौफ होकर ईमानदार (honest) मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ), जिला समन्वयक (डीसी) मनरेगा के नाम पर भी वसूली कर रहा है।
ग्रामीण विकास की रीढ़ मानी जाने वाली ग्राम पंचायतों को इन अफसरों के नाम पर डरा धमका कर लूटा जा रहा है। ग्राम प्रधानों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि 2% कमीशन एडवांस एस्टीमेट की स्वीकृति के नाम पर, 2% काम पूरा होने के बाद, 1% लेखाकार और कंप्यूटर ऑपरेटर के लिए, 1% जेई की जेब में कुल मिलाकर 6% की खुली कटौती जबरन वसूली जा रही है।कर्मचारियों द्वारा यह भ्रम फैलाया जा रहा है कि अगर ऊपर पैसा नहीं गया तो निरीक्षण लग जाएगा जिससे प्रधान डरे सहमे रहते हैं।
अफसरों की ईमानदारी को धूमिल करने का यह सुनियोजित षड्यंत्र अब धीरे धीरे उजागर हो रहा है।डीसी मनरेगा कपिल कुमार ने हाल ही में साफ चेतावनी दी थी कि अगर उनके नाम पर कोई वसूली करता है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। लेकिन ब्लॉक के भ्रष्ट कर्मचारी बेखौफ हैं, जैसे कि उन्हें किसी साजिशन राजनीतिक या प्रशासनिक संरक्षण प्राप्त हो।
प्रधानों का कहना है कि वसूली के बाद कोई अधिकारी निरीक्षण करने नहीं आता। सिर्फ फोटो खींचकर हाजिरी लगवा दी जाती है और कागजों में काम पूरा दिखा दिया जाता है।कमालगंज ब्लॉक में ग्राम पंचायत सचिवों की भूमिका को पूरी तरह शून्य कर दिया गया है। एमआर (मस्टररोल) जैसी संवेदनशील प्रक्रिया में अब सचिव के हस्ताक्षर की भी जरूरत नहीं समझी जा रही, जबकि नियम साफ कहते हैं कि बिना सचिव के सत्यापन के कोई कार्य वैध नहीं माना जा सकता।
प्रधानों का कहना है कि जिन ग्राम पंचायत में मनरेगा खूब चलती है वहां पर निरीक्षण के नाम पर भी बीच में मोटी धन उगाई की जाती है। अगर अफसर अकेले में बात करें, तो वे पूरी सच्चाई बता देंगे। वे चाहते हैं कि गोपनीय जांच करवाई जाए, ताकि इस भ्रष्ट तंत्र की असली सूरत सामने लाई जा सके।सरकारी धन की बंदरबांट पर प्रशासन मौन है। अब सवाल यह है कि क्या अफसर अपनी ही साख बचाने के लिए अब कोई कार्रवाई करेंगे या फिर ये लूट यूं ही चलती रहेगी? यही समय है जब फर्रुखाबाद प्रशासन को सख्ती से नकेल कसनी चाहिए, वरना मनरेगा का भरोसा मिट्टी में मिल जाएगा।