लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार के आयुष मंत्री डॉ. दयाशंकर मिश्र ‘दयालु’ ने विभागीय अनियमितताओं पर सख्त रुख अपनाते हुए निदेशक होम्योपैथी प्रो. अरविंद कुमार वर्मा को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। यह कार्रवाई ट्रांसफर-पोस्टिंग घोटाले में मिली शिकायतों और प्राथमिक जांच में पाई गई गंभीर अनियमितताओं के बाद की गई।
पिछले दिनों आयुष विभाग में हुए तबादलों में भारी गड़बड़ियों की शिकायतें सामने आई थीं। आरोप लगे कि प्रो. अरविंद कुमार वर्मा द्वारा मनमाने ढंग से अधिकारियों और चिकित्सकों के तबादले किए गए, जिससे विभाग में असंतोष फैला।
इन शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए आयुष मंत्री डॉ. दयालु ने खुद हस्तक्षेप किया और सभी विवादित तबादलों को निरस्त कर दिया था। मंत्री की पहल पर मामले की जांच शुरू हुई, जिसमें और भी चौंकाने वाले तथ्य सामने आए।
प्रारंभिक जांच में यह सामने आया कि तबादलों में न सिर्फ सरकारी गाइडलाइनों की अनदेखी की गई, बल्कि कुछ स्वीकृतियाँ फर्जी दस्तावेजों के आधार पर दी गईं। कई मामलों में ट्रांसफर बिना जनहित, केवल पसंद-नापसंद और दबाव के आधार पर किए गए।
सूत्रों के मुताबिक, आयुष मंत्री ने स्वयं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलकर पूरे मामले की जानकारी दी, और विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार व लापरवाही के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की। मुख्यमंत्री की सहमति के बाद ही निलंबन की कार्रवाई को अंतिम रूप दिया गया।
मामले की विस्तृत विभागीय जांच शुरू हो चुकी है।
अन्य अधिकारियों की भूमिका की भी पड़ताल की जा रही है।
स्वास्थ्य विभाग, सतर्कता अधिष्ठान और मुख्य सचिव स्तर पर फॉलोअप की संभावना है।
मंत्री का सख्त संदेश:
“आयुष विभाग में किसी भी प्रकार की अनियमितता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। पारदर्शिता और जनसेवा हमारी प्राथमिकता है।” — डॉ. दयाशंकर मिश्र ‘दयालु’, आयुष मंत्री, उत्तर प्रदेश
यह कार्रवाई न सिर्फ आयुष विभाग के लिए चेतावनी है, बल्कि पूरे शासन-प्रशासन को यह संदेश देती है कि भ्रष्टाचार पर सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति अब कागजों तक सीमित नहीं रही। अब जवाबदेही तय होगी — चाहे ओहदा कितना भी बड़ा क्यों न हो।