उत्तर पुस्तिकाओं में 500 और 1000 के नोट, मूल्यांकन में रिश्वत का खेल
लखनऊ। बोर्ड परीक्षाओं (Board Exams) में निष्पक्षता और पारदर्शिता बनाए रखने के लिए प्रशासन तमाम उपाय करता है, लेकिन इसके बावजूद परीक्षार्थी अंकों की खरीद-फरोख्त के नए तरीके अपना रहे हैं। हाल ही में सामने आए मामलों में कुछ परीक्षार्थी उत्तर पुस्तिकाओं में 500 और 1000 रुपये के नोट रखकर मूल्यांकन करने वाले शिक्षकों को रिश्वत देने का प्रयास कर रहे हैं। इस घटनाक्रम से परीक्षा की निष्पक्षता पर सवाल उठने लगे हैं।
जानकारी के अनुसार, मूल्यांकन केंद्रों पर जब परीक्षकों ने कुछ उत्तर पुस्तिकाएं खोलीं, तो उनमें उत्तर लिखने के बजाय नोट夹 (रखे) मिले। परीक्षार्थियों ने इनमें यह भी लिखा कि “गुरुजी कृपया अच्छे नंबर दे दीजिए” या “थोड़ी मदद कर दीजिए”। शिक्षकों के लिए यह स्थिति असमंजस भरी रही। कुछ शिक्षकों ने इस मामले को प्रशासन तक पहुंचाया, जबकि कुछ ने चुप्पी साध ली।
एक शिक्षक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “हमारी जिम्मेदारी उत्तर पुस्तिकाओं का निष्पक्ष मूल्यांकन करना है, लेकिन कुछ छात्र गलत रास्ता अपना रहे हैं। हालांकि, हम इस तरह की पुस्तिकाओं को तुरंत उच्चाधिकारियों को सौंप देते हैं।”
इस मामले पर शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि यदि मूल्यांकन के दौरान किसी शिक्षक को इस तरह की पुस्तिका मिलती है, तो उसे रिपोर्ट करना अनिवार्य है। यदि कोई शिक्षक इस खेल में शामिल पाया गया, तो उस पर कड़ी कार्रवाई होगी।
इस तरह की घटनाएं दर्शाती हैं कि परीक्षार्थी अच्छे अंकों के लिए गलत रास्ता अपनाने से भी नहीं हिचकते। यह न केवल परीक्षा प्रणाली की निष्पक्षता पर सवाल उठाता है, बल्कि छात्रों की नैतिकता पर भी प्रश्न खड़े करता है।
शिक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि यदि यह प्रवृत्ति बढ़ती है, तो मूल्यांकन प्रणाली पर से लोगों का भरोसा उठ जाएगा। इसलिए इस तरह की घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए प्रशासन को सख्त कदम उठाने की जरूरत है।
क्या होना चाहिए समाधान?
उत्तर पुस्तिकाओं की जांच के दौरान अगर नोट पाए जाते हैं, तो संबंधित परीक्षार्थी पर कार्रवाई होनी चाहिए।परीक्षा केंद्रों और मूल्यांकन कक्षों में सीसीटीवी कैमरे लगाने चाहिए ताकि इस तरह की घटनाओं पर नजर रखी जा सके। परीक्षकों को स्पष्ट निर्देश दिए जाएं कि इस तरह की उत्तर पुस्तिकाओं की जानकारी तुरंत अधिकारियों को दें। स्कूलों में नैतिक शिक्षा को बढ़ावा देकर छात्रों को मेहनत से सफलता पाने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए। यदि इस तरह की प्रवृत्ति पर समय रहते लगाम नहीं लगाई गई, तो परीक्षा प्रणाली में भ्रष्टाचार बढ़ सकता है और मेहनती छात्रों के साथ अन्याय होगा। प्रशासन को इस ओर गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है।