गोरखपुर: शिवावतार बाबा गुरु गोरखनाथ की तपोस्थली Gorakhpur शुक्रवार को ऐतिहासिक क्षण की साक्षी बनी। गोरखा रिक्रूटमेंट डिपो (जीआरडी) परिसर में गोरखा युद्ध स्मारक (Gorkha War Memorial) के सुंदरीकरण और संग्रहालय निर्माण कार्य का भूमि पूजन भव्य समारोह के बीच संपन्न हुआ। इस अवसर पर जब सैन्य बैंड की धुन गूंजी और गोरखा जवानों का युद्धघोष उठा, तो पूरा परिसर मानो वीरता और शौर्य के गीत गाने लगा।
मुख्य अतिथि चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने भूमि पूजन के बाद रेजीमेंट का परंपरागत युद्धघोष “जय महाकाली, आयो गोरखाली” करते हुए आधारशिला रखी। उनके इस उद्घोष ने माहौल को और भी वीर रस से भर दिया। सीडीएस ने कहा कि यह स्मारक गोरखा वीरों के अदम्य साहस और अमर बलिदान को आने वाली पीढ़ियों तक जीवित रखेगा। उन्होंने विश्वास जताया कि यह स्मारक भारत और नेपाल के बीच ऐतिहासिक रिश्तों को भी नई मजबूती प्रदान करेगा।
जनरल चौहान ने अपने संबोधन में भावुक होकर बताया कि उनका गोरखा रेजीमेंट से 44 वर्षों का गहरा जुड़ाव रहा है और इस रेजीमेंट के साथ बीते अनुभव उनकी जिंदगी का सबसे गौरवपूर्ण हिस्सा हैं। उन्होंने कहा कि गोरखा सैनिकों की शौर्यगाथा केवल युद्धक्षेत्र तक सीमित नहीं, बल्कि यह आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
कार्यक्रम के दौरान प्रोजेक्टर स्क्रीन पर महान फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ की दुर्लभ क्लिप भी प्रदर्शित की गई। उसमें उनका प्रसिद्ध कथन गूंजा– “अगर कोई कहे कि उसे मौत से डर नहीं लगता तो या तो वह झूठ बोल रहा है या वह गोरखा है।” इस कथन के साथ जब गोरखा वीरों की बहादुरी के दृश्य दिखाए गए तो मौजूद सभी लोग गर्व और सम्मान से भर उठे।
इस मौके पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी अपने संबोधन में गोरखा परंपरा और बाबा गोरखनाथ के अटूट संबंध को विस्तार से समझाया। उन्होंने कहा कि गोरखा जवानों की आराध्य देवी मां काली हैं, इसीलिए जहां भी गुरु गोरखनाथ का मंदिर होता है, वहां मां काली की मूर्ति अवश्य स्थापित होती है। मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि यह स्मारक गुरु गोरखनाथ की तपोस्थली गोरखपुर और नेपाल के गोरखा जनपद के बीच सांस्कृतिक और आध्यात्मिक रिश्तों को भी और गहरा करेगा।
भूमिपूजन के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने मिलकर रेजीमेंटल मंदिर में मां काली की पूजा की और अमर बलिदानी गोरखा जवानों के प्रति श्रद्धा में शीश नवाया। पूजा के दौरान पूरा वातावरण श्रद्धा, शौर्य और समर्पण की भावना से सराबोर हो गया।