नई दिल्ली: भारतीय वायुसेना अपने जंगी बेड़े को पूरी तरह बदलने की दिशा में बड़ा कदम उठाने जा रही है। वायुसेना का लक्ष्य है कि 2031 तक लाइट कॉम्बैट एयरक्रॉफ्ट (LCA) तेजस को अपने बेड़े में शामिल किया जाए। इस योजना के तहत कुल 173 सिंगल सीटर तेजस MK1A फाइटर्स और 47 दोहरे सीट वाले तेजस ट्रेनर्स तैनात किए जाएंगे। यह पहल आत्मनिर्भर भारत अभियान का अहम हिस्सा है। अगस्त माह में रक्षा मंत्रालय ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) से 97 अतिरिक्त तेजस Mk-1A फाइटर्स की खरीद को मंजूरी दी थी, जिसकी अनुमानित लागत करीब 66,000 करोड़ रुपये है। एक रिपोर्ट के अनुसार, LCA तेजस ट्विन सीटर एक हल्का, सभी मौसम में काम करने वाला बहुउद्देश्यीय 4.5 पीढ़ी का विमान है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड का कहना है कि तेजस आधुनिक कॉन्सेप्ट और उन्नत तकनीक का मिश्रण है। इसमें स्थैतिक स्थिरता, क्वाड्राप्लेक्स फ्लाई-बाय-वायर उड़ान नियंत्रण, ग्लास कॉकपिट, डिजिटल एवियोनिक्स सिस्टम और एयरफ्रेम में एडवांस्ड मिश्रित सामग्री जैसी खूबियां होंगी।
साल 2023 में HAL को भारतीय वायुसेना से 18 ट्विन सीटर तेजस का ऑर्डर मिला था, जिनकी आपूर्ति 2026-27 तक पूरी करने का वादा किया गया है। वायुसेना की योजना है कि नए जंगी बेड़े में 11 स्क्वॉड्रन तैयार किए जाएंगे, जिनमें प्रत्येक में करीब 20 फाइटर जेट होंगे, जिनमें चार ट्रेनर जेट भी शामिल रहेंगे। ये मैन-अनमैन टीमिंग (MUMT) ऑपरेशन में सक्षम होंगे और कॉम्बैट एयर टीमिंग सिस्टम से लैस रहेंगे।
HAL इस समय 97 अतिरिक्त तेजस जेट बनाने की प्रक्रिया में जुटा हुआ है, जिनमें 68 सिंगल सीटर और 29 ट्रेनर जेट शामिल हैं। इन विमानों में ELM-2052 एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैंड एैरे (AESA) रडार या स्वदेशी “उत्तम” AESA रडार लगाया जाएगा। तेजस का यह नया बेड़ा भारतीय वायुसेना को न केवल तकनीकी रूप से और मजबूत बनाएगा बल्कि देश की रक्षा तैयारियों को भी नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा।