वॉशिंगटन/नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का रूख एक बार फिर चर्चा में है। कभी भारत को अपना “सच्चा दोस्त” बताने वाले ट्रंप अब उसी भारत और चीन पर 100 फीसदी तक टैरिफ लगाने का प्रस्ताव लेकर आए हैं। अमेरिकी मीडिया फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका ने G7 देशों पर दबाव डाला है कि वे भारत और चीन पर रूसी तेल खरीदने के लिए कड़े शुल्क लगाएं।
इस मुद्दे पर चर्चा के लिए शुक्रवार को G7 देशों (अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान और कनाडा) के वित्त मंत्री वीडियो कॉल के जरिए बैठक करेंगे। इसमें ट्रंप प्रशासन द्वारा तैयार किए गए नए प्रस्तावों पर विचार होगा, जो कथित तौर पर यूक्रेन युद्ध को लेकर अमेरिका के “शांति प्रयासों” से जुड़ा बताया जा रहा है।
सूत्रों का कहना है कि अमेरिका इस बैठक में अपने साझेदारों पर दबाव बनाएगा कि वे भी भारत और चीन पर भारी शुल्क लगाएं, ताकि रूसी तेल की खरीद घटाई जा सके और रूस की अर्थव्यवस्था पर सीधा असर पड़े।
अमेरिका ने अभी तक आधिकारिक तौर पर सटीक आंकड़ा नहीं बताया है। लेकिन रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि यह टैरिफ 50% से 100% तक हो सकता है। इससे पहले भी अमेरिका ने भारत पर आयात शुल्क बढ़ाकर 50% तक कर दिया था।
अमेरिकी वित्त विभाग के एक प्रवक्ता ने हाल ही में कहा था, “यदि यूरोपीय देश वास्तव में युद्ध समाप्त करने को लेकर गंभीर हैं, तो उन्हें हमारे साथ मिलकर सार्थक शुल्क लगाने होंगे।”
उन्होंने साफ किया कि सिर्फ यूरोपियन यूनियन ही नहीं, बल्कि G7 के सभी साझेदार देशों को इस कदम में शामिल होना चाहिए। उल्लेखनीय है कि यूरोपियन यूनियन अब भी अपनी गैस का लगभग 20% हिस्सा रूस से खरीदता है।
भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश है और पिछले कुछ वर्षों से रूस से कच्चे तेल की खरीद बढ़ी है। अमेरिका का यह दबाव भारत की ऊर्जा सुरक्षा और विदेशी व्यापार नीति पर सीधा असर डाल सकता है।
ट्रंप का यह कदम ऐसे समय में सामने आया है जब वैश्विक अर्थव्यवस्था पहले से ही दबाव में है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि G7 देश इस प्रस्ताव पर सहमत होते हैं तो भारत और चीन की ऊर्जा लागत बढ़ सकती है और वैश्विक बाजार में तेल की कीमतों पर भी असर पड़ सकता है।