डा. सूर्यकान्त
हाल ही में ह्यूमन मेटान्यूमो वायरस (HMPV) संक्रमण के मामलों ने देश में हलचल मचा दी है। कोविड-19 महामारी की यादें अभी ताजा हैं और चीन से आई इस नई बीमारी ने एक बार फिर डर का माहौल बना दिया है। हालांकि, डरने की नहीं बल्कि सतर्क रहने की जरूरत है।
एच.एम.पी.वी. कोई नई बीमारी नहीं है। 2001 में नीदरलैंड में खोजा गया यह श्वसन वायरस सामान्य सर्दी, बुखार, खांसी, नाक बंद होना और सांस लेने में कठिनाई जैसे लक्षण पैदा करता है। गंभीर मामलों में यह ब्रोंकाइटिस और निमोनिया का कारण बन सकता है।
इस वायरस का प्रभाव खासतौर पर 14 साल से कम आयु वाले बच्चों, गर्भवती महिलाओं और बुजुर्गों में देखा गया है।
HMPV के लिए अभी तक कोई विशेष टीका या एंटीवायरल दवा उपलब्ध नहीं है। संक्रमित व्यक्ति को आराम, सामान्य बुखार कम करने वाली दवाएं, और जरूरत पड़ने पर ऑक्सीजन सपोर्ट से ठीक किया जा सकता है।
बचने के लिए मास्क पहनें और खांसते-छींकते समय मुंह ढकें। भीड़-भाड़ वाली जगहों से बचें। बार-बार साबुन और पानी से हाथ धोएं।संक्रमित व्यक्तियों से दूरी बनाए रखें। हाथ मिलाने की बजाय नमस्ते से अभिवादन करें। खुद को हाइड्रेटेड रखें और पौष्टिक भोजन लें।डॉक्टर की सलाह लें, अफवाहों से बचें ,सोशल मीडिया पर फैली अफवाहों से सतर्क रहें। चिकित्सा सलाह के लिए केवल प्रमाणित डॉक्टरों और सरकारी हेल्पलाइन का सहारा लें।
एच.एम.पी.वी. पर डर की जगह सतर्कता और जागरूकता से इसे रोका जा सकता है। भारत ने पहले भी कोविड-19 जैसी बड़ी चुनौती को सफलतापूर्वक संभाला है। सरकार और नागरिकों के सामूहिक प्रयास से इस स्थिति को भी नियंत्रित किया जा सकता है। बस सतर्क रहें और आवश्यक सावधानियां अपनाएं।