डॉ अनिल वर्मा
केजीएमयू लखनऊ
बरसात का मौसम अपनी ठंडी बयार और हरियाली से भले ही मन को भा जाए, लेकिन इसके साथ साथ यह मौसम अनेक बीमारियों का भयावह संदेश भी लेकर आता है। तेज बारिश और जगह जगह जलभराव, नालियों का उफान और गंदगी ऐसी स्थिति पैदा करते हैं जहाँ जलजनित और खादजनित रोग तेजी से फैलते हैं।
डायरिया, पेचिश, हैजा, टाइफाइड और वायरल हेपेटाइटिस जैसी बीमारियाँ हर साल हजारों लोगों को बीमार कर देती हैं। दूषित पानी और अस्वच्छ भोजन इन रोगों की सबसे बड़ी वजह है। बरसात के दिनों में खुले स्रोतों का पानी और सड़क किनारे बिकने वाला अस्वच्छ भोजन संक्रमण को कई गुना बढ़ा देता है। बच्चों और बुजुर्गों के लिए यह खतरा और भी गंभीर हो जाता है।
लक्षणों को अनदेखा करना खतरनाक साबित हो सकता है। बार बार उल्टी दस्त, तेज बुखार, पीलिया, भूख न लगना और थकान जैसे संकेत मिलते ही तत्काल डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी है। देरी अक्सर भारी पड़ जाती है और कई बार जानलेवा साबित होती है।इन बीमारियों का इलाज तो संभव है, लेकिन रोकथाम ही सबसे बड़ा उपाय है। उबला हुआ या फिल्टर किया पानी पीना, ताजा और घर का बना भोजन करना, खाने से पहले व शौच के बाद हाथ धोने की आदत डालना, और सामुदायिक स्तर पर सफाई बनाए रखना अनिवार्य है। स्थानीय प्रशासन को नालियों की सफाई और कीटाणुनाशक छिड़काव पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
यह समझना होगा कि बरसात के मौसम में फैलने वाली बीमारियाँ सिर्फ स्वास्थ्य समस्या नहीं बल्कि सामाजिक और आर्थिक संकट भी हैं। इलाज पर खर्च, कामकाजी दिनों का नुकसान और असुरक्षा की भावना समाज को कमजोर बनाती है।समय आ गया है कि हम केवल बीमारी आने पर ही सक्रिय न हों, बल्कि पहले से ही एहतियाती कदम उठाएँ। स्वच्छ पानी, स्वच्छ भोजन और स्वच्छता को आदत बनाना होगा। तभी बरसात का मौसम हमारे जीवन में राहत और सुखद अहसास लेकर आएगा, न कि चिंता और बीमारी का बोझ।
(दैनिक यूथ इंडिया)