फर्रुखाबाद। गंगा और रामगंगा नदियों में आई बाढ़ का पानी घटने के बाद जनपद में हालात धीरे-धीरे सामान्य हो रहे हैं, लेकिन ग्रामीण इलाकों की तस्वीर अब भी बदली हुई है। बाढ़ समाप्त होने के बावजूद चार दर्जन से अधिक गांवों में नाव से लोगों का आना-जाना जारी है। करीब 45 दिनों तक गंगा और रामगंगा की बाढ़ ने तबाही मचाई। इस दौरान लोग घर छोड़कर ऊंचे स्थानों पर शरण लेने को मजबूर हुए और फसलें बर्बाद हो गईं।पहाड़ों पर बारिश थमने और नरौरा बांध से कम पानी छोड़े जाने के बाद बाढ़ का पानी उतरना शुरू हुआ। मंगलवार को नरौरा बांध से गंगा में 92,759 क्यूसेक पानी छोड़ा गया। गंगा का जलस्तर इस समय 136.60 मीटर पर स्थिर है, जो चेतावनी बिंदु से नीचे है। वहीं, रामगंगा का जलस्तर भी 135.85 मीटर से कम होकर आ गया है। खो हरेली रामनगर बैराज से 8,002 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है।बाढ़ प्रभावित गांवों में 10 अगस्त से नावों का संचालन शुरू हुआ था, जो अब तक जारी है। तहसील अमृतपुर प्रशासन की ओर से 79 गांवों में रहने वाले करीब 24 हजार परिवारों को राहत सामग्री वितरित की जा चुकी है। ग्रामीणों को भोजन, दवा और अन्य जरूरी सामान उपलब्ध कराया गया।एसडीएम अमृतपुर संजय कुमार सिंह ने जानकारी दी कि अब अधिकांश गांवों से पानी निकल चुका है और स्थिति में सुधार हो रहा है। उन्होंने बताया कि सभी लेखपालों को बाढ़ से प्रभावित फसलों का नुकसान आंकने का आदेश दिया गया है। वर्तमान में लेखपाल गांव-गांव जाकर फसलों का सर्वे कर रहे हैं। सर्वे पूरा होने के बाद सरकार किसानों को जल्द से जल्द मुआवजा उपलब्ध कराएगी।हालांकि, बाढ़ का पानी उतरने के बाद गांवों की हालत दयनीय हो गई है। गलियों और घरों में गाद व कीचड़ जमने से लोगों की परेशानियां और बढ़ गई हैं। ग्रामीणों का कहना है कि अब बाढ़ तो समाप्त हो गई है, लेकिन जनजीवन सामान्य होने में अभी कई दिन लगेंगे। बाढ़ ने गांवों को गहरे घाव दिए हैं, जिन्हें भरने में महीनों लग जाएंगे।ग्रामीणों का दर्द यह भी है कि गंगा की बाढ़ हर साल आती है और नुकसान करती है, लेकिन सरकार से मिलने वाला मुआवजा नुकसान की तुलना में बेहद कम होता है। कई किसानों का कहना है कि उन्हें नुकसान का आधा भी मुआवजा नहीं मिल पाता है। ऐसे में उनकी आर्थिक स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है।