निदेशक से लेकर 41 क्षेत्रीय अधिकारी तक सभी ‘कार्यवाहक’, नियमित प्रमोशन न होने से ठप हो रहा विभागीय कामकाज
लखनऊ। उत्तर प्रदेश का आयुर्वेद विभाग इन दिनों पूरी तरह कार्यवाहक अफसरों के भरोसे चल रहा है। निदेशक से लेकर क्षेत्रीय आयुर्वेद अधिकारी तक लगभग सभी महत्वपूर्ण पदों पर तैनात अधिकारी “कार्यवाहक” के रूप में जिम्मेदारी निभा रहे हैं। नियमित प्रमोशन और नियुक्तियों के अभाव में विभाग का प्रशासनिक कामकाज गंभीर रूप से प्रभावित हो रहा है।
सूत्रों के मुताबिक, विभाग में निदेशक, उपनिदेशक और क्षेत्रीय अधिकारियों के कुल 41 पदों पर कोई भी अधिकारी स्थायी रूप से नियुक्त नहीं है। वरिष्ठता विवादों और विभागीय प्रक्रियाओं में देरी के कारण पदोन्नति फाइलें महीनों से लंबित हैं। परिणामस्वरूप फील्ड में कार्यरत अधिकारियों पर काम का अतिरिक्त बोझ बढ़ गया है।
विभागीय सूत्रों का कहना है कि आयुर्वेदिक अस्पतालों के संचालन, दवाओं की आपूर्ति, और स्वास्थ्य कार्यक्रमों की मॉनिटरिंग जैसी प्रमुख गतिविधियां प्रभावित हो रही हैं। कई जिलों में तो आयुर्वेदिक चिकित्सकों को प्रशासनिक जिम्मेदारियां भी संभालनी पड़ रही हैं, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता पर असर पड़ रहा है।
विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, “जब तक नियमित प्रमोशन और नियुक्तियां नहीं होंगी, तब तक निर्णय लेने की प्रक्रिया में सुस्ती बनी रहेगी। कार्यवाहक अधिकारियों के पास अधिकार सीमित होते हैं, जिससे विभागीय योजनाएं समय पर लागू नहीं हो पातीं।”
राज्य सरकार ने आयुर्वेदिक सेवाओं के सुदृढ़ीकरण और पारंपरिक चिकित्सा को बढ़ावा देने के कई बड़े लक्ष्य तय किए हैं, लेकिन प्रशासनिक शिथिलता और नियुक्तियों की कमी इन योजनाओं के क्रियान्वयन में बाधा बन रही है।





