– शिकायत पर वाहन हो गया जब्त
– प्रीपेड बूथ बंद होने से बढ़ी अराजकता
लखनऊ: केजीएमयू के डॉक्टर सनी चौधरी से एक ऑटो चालक ने धोखाधड़ी कर दो हजार रुपये वसूल लिए। doctor को शुक्रवार सुबह देहरादून वंदे भारत एक्सप्रेस पकड़नी थी, लेकिन स्टेशन के नामों को लेकर हुए भ्रम के कारण वह लखनऊ स्टेशन (चारबाग) पहुंच गए, जबकि ट्रेन लखनऊ जंक्शन (छोटी लाइन) से छूटनी थी। इसी बीच चारबाग स्टेशन के बाहर खड़ा एक ऑटो चालक (Auto driver) उन्हें झांसे में लेकर बोला कि वह उन्हें सही प्लेटफॉर्म तक पहुंचा देगा। ऑटो चालक डॉक्टर को महज 200 मीटर दूर लखनऊ जंक्शन तक ले गया और वहां पहुंचाने के बदले दो हजार रुपये वसूल लिए।
डॉक्टर चौधरी ने जब इस घटना की शिकायत की तो जीआरपी हरकत में आ गई। ऑटो नंबर यूपी 35 एटी 8997 को तलाश कर जब्त कर लिया गया। जांच में यह ऑटो चारबाग स्टेशन पर संचालित शाही ऑटो एसोसिएशन से पंजीकृत निकला। जीआरपी प्रभारी धर्मवीर सिंह ने बताया कि डॉक्टर से वसूली की शिकायत पर कार्रवाई की गई है और तहरीर मिलने पर कानूनी धाराओं में मुकदमा दर्ज किया जाएगा।
यह कोई पहली घटना नहीं है। लखनऊ स्टेशन और लखनऊ जंक्शन के नामों को लेकर अक्सर यात्री भ्रमित हो जाते हैं। लखनऊ जंक्शन से शताब्दी एक्सप्रेस, तेजस एक्सप्रेस, पुष्पक एक्सप्रेस, चित्रकूट एक्सप्रेस और वंदे भारत जैसी प्रमुख ट्रेनें चलती हैं, जिनके टिकट “लखनऊ एनई (एलजेएन)” के नाम से जारी होते हैं, जबकि लखनऊ स्टेशन से छूटने वाली ट्रेनों के टिकट “लखनऊ एनआर (एलकेओ)” के नाम से दिए जाते हैं। बाहर से आने वाले यात्री इस मामूली अंतर को नहीं समझ पाते और गलत स्टेशन पहुंच जाते हैं।
इसी भ्रम का फायदा उठाकर ऑटो चालक मनमानी वसूली करते हैं। पहले लखनऊ स्टेशन के बाहर जीआरपी का प्रीपेड ऑटो बूथ चलता था, जिसमें आरटीओ द्वारा निर्धारित किराया लिया जाता था, लेकिन वह कई वर्ष पहले बंद कर दिया गया। अब कोई किराया तय नहीं है और शाही ऑटो एसोसिएशन से जुड़े करीब 300 ऑटो चालक मनमाने ढंग से स्टेशन परिसर में घूम रहे हैं। ये चालक यात्रियों से मनचाही रकम वसूलने लगे हैं।
पिछले दिनों उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक अशोक कुमार वर्मा ने स्टेशन परिसर में अव्यवस्थित रूप से खड़े ऑटो और जाम की स्थिति पर नाराजगी जताई थी। इसके बावजूद अब तक कोई ठोस व्यवस्था नहीं की गई है, जिससे ऑटो चालकों की मनमानी लगातार बढ़ती जा रही है। यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा के लिए रेलवे व प्रशासन को मिलकर इस स्थिति पर सख्त नियंत्रण करने की जरूरत है।