गुवाहाटी (यूथ इंडिया न्यूज): असम की राजनीति उस समय गरमा गई जब मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद गौरव गोगोई के परिवार की नागरिकता को लेकर एक बड़ा बयान दे दिया। सरमा ने दावा किया कि अगर गोगोई यह साबित कर दें कि उनके बच्चे भारतीय नागरिक हैं, तो वे मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देंगे।
“अगर गौरव गोगोई यह सिद्ध कर दें कि उनके बच्चे भारत के नागरिक हैं, तो मैं तुरंत मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दूंगा।” — हिमंत बिस्वा सरमा
यह बयान उस समय आया जब राज्य में एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर) और घुसपैठ जैसे मुद्दे पर बहस चल रही है। मुख्यमंत्री सरमा ने यह भी कहा कि विपक्ष केवल राजनीतिक लाभ के लिए मुद्दों को भटका रहा है, जबकि भाजपा सरकार राज्य की सुरक्षा और सांस्कृतिक विरासत को बचाने के लिए प्रतिबद्ध है।
गौरव गोगोई ने इस बयान को “असत्य और व्यक्तिगत आक्षेप” बताया और कहा कि, “मुख्यमंत्री को असम के वास्तविक मुद्दों—बाढ़, बेरोजगारी और शिक्षा की चिंता करनी चाहिए, न कि मेरे परिवार की नागरिकता को लेकर झूठ फैलाना चाहिए।”
गौरव गोगोई, दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई के बेटे हैं। वे कालीबोर लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस के सांसद हैं।
उनकी पत्नी एलिजाबेथ गोगोई कथित रूप से विदेशी मूल की हैं, जिस कारण सरमा ने यह बयान दिया।
असम में भाजपा और कांग्रेस के बीच मतभेद पिछले कुछ वर्षों में और गहरे हुए हैं।
यह बयान आगामी चुनावों को ध्यान में रखते हुए राजनीतिक रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। राज्य में एनआरसी के तहत करीब 19 लाख लोग बाहर हो चुके हैं, जिसमें से करीब 12 लाख हिंदू और 7 लाख मुस्लिम बताए जाते हैं।
मुख्यमंत्री का यह बयान केवल व्यक्तिगत हमला नहीं, बल्कि राज्य की राजनीति को गर्माने वाला एक बड़ा मुद्दा बन सकता है। इससे नागरिकता, अस्मिता और परिवारवाद जैसे विषयों पर नई बहस शुरू हो गई है।