– हर वर्ग से मिला स्वागत, भाजपा की कुर्मी राजनीति पर उठे सवाल
फर्रुखाबाद। प्रदेश के प्रादेशिक शिक्षा मंत्री और अपना दल (एस) के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष आशीष पटेल का सोमवार को जनपद फर्रुखाबाद का दौरा लंबे समय बाद यादगार और ऐतिहासिक बन गया। वर्षों बाद ऐसा देखने को मिला जब समाज के हर वर्ग ने एकजुट होकर किसी मंत्री का ऐसा भव्य स्वागत किया। व्यापारियों से लेकर युवाओं और महिलाओं तक ने उनका स्वागत किया, जिससे साफ जाहिर हो गया कि पूर्वांचल के बाद अब फर्रुखाबाद-कन्नौज-कानपुर बेल्ट में भी अपना दल (एस) की राजनीतिक पकड़ तेजी से मजबूत हो रही है।
इस क्षेत्र में पार्टी की पकड़ कायमगंज से विधायक डॉ. सुरभि पटेल के जरिए पहले ही स्थापित हो चुकी है, जिन्हें आशीष पटेल के सजातीय समाज ने एकजुट होकर विधानसभा में भेजा था। अब मंत्री के इस दौरे से यह स्पष्ट हो गया कि समाज का झुकाव तेजी से भारतीय जनता पार्टी से हटकर अपना दल (एस) की ओर बढ़ रहा है।
व्यवसाइयों से मिला समर्थन, युवाओं में उत्साह
श्री पटेल के स्वागत में फर्रुखाबाद के प्रतिष्ठित व्यापारियों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। कई स्थानों पर स्वागत गेट बनाए गए, तो कई जगह पुष्प वर्षा और माल्यार्पण कर उनका अभिनंदन किया गया। युवाओं में तो उन्हें लेकर खासा उत्साह रहा। महिलाओं ने भी पूरे जोश के साथ कार्यक्रमों में भाग लिया। सोशल मीडिया पर भी उनकी तस्वीरें और स्वागत से जुड़े वीडियो वायरल होते रहे।
भाजपा से नाराज है कुर्मी समाज?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह आयोजन केवल एक मंत्री के दौरे तक सीमित नहीं था, बल्कि यह भाजपा को समाज की नाराजगी का खुला संकेत भी था। फर्रुखाबाद जिले में कुर्मी समाज का बड़ा वोट बैंक है, लेकिन भाजपा ने उन्हें केवल छोटे पदों से संतोष दिलाया। वरिष्ठ नेता दिनेश कटियार को भूमि विकास बैंक का अध्यक्ष बनाया गया, जो न तो प्रभावशाली पद है और न ही संसाधनों से युक्त। वहीं विमल कटियार को आलू वितरण संघ का सभापति बनाया गया, लेकिन उनके पास न तो विभागीय अधिकार हैं और न ही कोई चैंबर या वाहन की सुविधा।
पूर्व विधायक कुलदीप गंगवार को डिस्टिक कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड के अध्यक्ष पद तक सीमित कर दिया गया है, जबकि जय गंगवार को केवल कायमगंज गन्ना मिल का उपाध्यक्ष बनाया गया है। यह सभी पद न केवल सीमित अधिकार वाले हैं, बल्कि उनका जनसंपर्क और निर्णय क्षमता भी काफी कमजोर है।
भाजपा के कुर्मी नेता भी समाज से दूर
स्थानीय लोगों की माने तो भाजपा में शामिल कुर्मी समाज के मंत्री और वरिष्ठ नेता अपने ही समाज के लोगों को नजदीक नहीं आने देते। इस कारण आम कुर्मी मतदाता के मन में भाजपा को लेकर गहरी नाराजगी है। उनका मानना है कि जब उनके समाज का कोई नेता सत्ता में होता है, तब भी वह समाज से कटे रहते हैं और केवल व्यक्तिगत लाभ तक सीमित रहते हैं।
अपना दल (एस) बन रहा नया विकल्प
ऐसे में आशीष पटेल के दौरे ने कुर्मी समाज को एक नया राजनीतिक विकल्प दिया है। समाज ने मंत्री के स्वागत के जरिए यह संदेश दे दिया है कि अब वह केवल “वोट बैंक” बनकर नहीं रहना चाहता, बल्कि सत्ता में भागीदारी और सम्मान चाहता है। फर्रुखाबाद, कन्नौज, बिल्हौर और कानपुर ग्रामीण में यह संकेत साफ दिखाई दे रहा है।
यह दौरा आने वाले निकाय और विधानसभा चुनावों के लिहाज से भी अहम माना जा रहा है। अगर अपना दल (एस) ने इस बेल्ट में संगठन को और मजबूत किया, तो भाजपा को अपना पारंपरिक कुर्मी वोट बैंक बनाए रखना मुश्किल हो सकता है। वहीं विपक्ष भी इस स्थिति का लाभ उठाने के प्रयास में लग सकता है।