“असीम अरुण : सख्ती, सिस्टम और सत्य का चेहरा”

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यूथ इंडिया समाचार
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजनीति में इन दिनों एक नाम लगातार चर्चा में है, असीम अरुण, पूर्व आईपीएस अधिकारी से मंत्री बने असीम अरुण ने अपने हर फैसले से यह साबित किया है कि ईमानदारी सिर्फ विचार नहीं, बल्कि एक कार्यशैली भी हो सकती है।
उनकी हालिया कार्रवाई, बरेली के भोजीपुरा स्थित जयप्रकाश नारायण सर्वोदय विद्यालय में घटिया निर्माण कार्य पर मौके से जेई का निलंबन, ने पूरे प्रदेश में संदेश दिया है कि सरकारी धन की बर्बादी अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
मंत्री असीम अरुण बिना किसी पूर्व सूचना के विद्यालय पहुंचे। निरीक्षण के दौरान जब उन्होंने टाइल्स और निर्माण सामग्री की खराब गुणवत्ता देखी, तो मौके पर ही इंजीनियर से जवाब तलब किया। कुछ ही मिनटों में कार्रवाई करते हुए जेई को निलंबित कर दिया।
स्थानीय लोगों ने कहा, साहब तो पहले भी पुलिस में थे, अब मंत्री बनकर भी वही ईमानदारी साथ लाए हैं। सोशल मीडिया पर लोग उन्हें रियल लाइफ नायक कह रहे हैं। असीम अरुण केवल दूसरों पर सख्त नहीं हैं, वे खुद पर भी उसी अनुशासन को लागू करते हैं। कुछ समय पहले उन्होंने लाल बत्ती लगी सरकारी कार लेने से इनकार कर दिया था, यह कहते हुए कि नियम सब पर बराबर लागू होते हैं, मंत्री भी अपवाद नहीं।
इतना ही नहीं, उन्होंने अपने निजी सचिव को महिला उत्पीडऩ के आरोप में गिरफ्तार करवाने में भी कोई हिचक नहीं दिखाई। उनका संदेश साफ था, व्यवस्था का भय कानून से होना चाहिए, व्यक्ति से नहीं।
असीम अरुण का फोकस केवल कार्रवाई तक सीमित नहीं है, वे समाज कल्याण विभाग को प्रभावी, पारदर्शी और तकनीकी रूप से सक्षम बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं।
विभागीय योजनाओं की मॉनिटरिंग के लिए डिजिटल ट्रैकिंग सिस्टम और शिकायत निवारण की प्रक्रिया को सशक्त किया जा रहा है।
उनका यह मंत्र विकास तभी सार्थक है जब लाभ सही व्यक्ति तक पहुँचे। असीम अरुण की छवि एक ऐसे जनसेवक की बन चुकी है जो सुनता भी है और कार्रवाई भी करता है। उनके दौरे अचानक होते हैं, लेकिन असर गहरा छोड़ जाते हैं।
अधिकारी जानते हैं कि अगर काम ईमानदारी से नहीं हुआ तो असीम अरुण किसी भी समय निरीक्षण पर पहुँच सकते हैं। असीम अरुण वह चेहरा हैं जिन्होंने दिखाया कि सत्ता में आने के बाद भी सिस्टम को सुधारा जा सकता है, बशर्ते इरादा साफ और कर्म कठोर हो। उनकी सादगी, अनुशासन और जवाबदेही की नीति ने युवाओं में एक नया विश्वास जगाया है कि राजनीति केवल वादों की नहीं, व्यवहार की भी भाषा बन सकती है।
आज जब राजनीति में विश्वास की कमी एक गंभीर चुनौती बन चुकी है, असीम अरुण जैसे नेता इस धारणा को तोड़ते हुए दिखा रहे हैं कि राजनीति भी व्यवस्था का उपचार बन सकती है। असीम अरुण न सिर्फ मंत्री हैं, वे उस नए नेतृत्व का प्रतीक हैं जहाँ नीति और निष्ठा एक साथ चलते हैं। राजनीति में ईमानदारी अब अपवाद नहीं, प्रेरणा है, और असीम अरुण उस प्रेरणा के प्रतीक हैं।

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