गोंडा: पूर्व जिलाधिकारी (former District Magistrate) ने अपने 26 अप्रैल को जारी आदेश में सम्बंधित तहसीलदार, थानाध्यक्ष व खण्ड शिक्षा अधिकारी को आदेशित कर बताया था कि जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (District Basic Education Officer) ने अवगत कराया है कि कई नोटिस व पत्र के बाद भी गैर मान्यता प्राप्त विद्यालय स्पष्टीकरण व शपथ पत्र प्रस्तुत कर अनुरोध करते हैं कि विद्यालय बंद कर दिया गया है।
अतः उनके विरुद्ध कोई विधिक कार्यवाही न की जाय। उक्त के सम्बंध में सम्बंधित अधिकारियों को आदेशित किया गया था कि जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा उपलब्ध कराई गई सूची में अंकित अपने-अपने क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले अमान्य विद्यालयों को उक्त अधिकारी आपस में समन्वय स्थापित करते हुए तत्काल सील/बंद करा कर सम्बंधित प्रबंधक एवं प्रधानाध्यापक के विरुद्ध विभिन्न धाराओं में प्राथमिकी दर्ज कराते हुए आवश्यक कार्यवाही करना सुनिश्चित करें व की गई कार्यवाही की सूचना 15 दिनों के अंदर जिला बेसिक अधिकारी कार्यालय के माध्यम से अधोहस्ताक्षरी/ जिलाधिकारी को अवगत कराएं परन्तु देखा जा रहा है कि तीन माह से अधिक समय बीत जाने के बावजूद शिक्षा विभाग के सम्बंधित अधिकारी उक्त आदेश के अनुपालन में गम्भीर नहीं हैं व विद्यालय पूर्ववत संचालित हो रहे हैं।
छापे के दिन एक दिन के लिए संचालन बंद कर दूसरे दिन से संचालन पुनः शुरू कर दिया जा रहा है। जिलाधिकारी के स्थानांतरण के बाद उनके 26 अप्रैल के आदेश को सम्बंधित अधिकारियों ने ठंडे बस्ते में डाल दिया है। जो विद्यालय बंद भी हुए थे, वे पुनः संचालित हो रहे हैं। कुछ मानक विहीन गैर मान्यता प्राप्त विद्यालयों में उच्च कक्षाओं का भी संचालन किया जा रहा है। बताया जाता है कि उक्त आदेश की आड़ में धन उगाही का खेल भी चल रहा है। सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या में घटोत्तरी का मुख्य कारण इन गैर मान्यता प्राप्त विद्यालयों का डंके की चोट पर संचालन है। जिस कारण से कम छात्र संख्या वाले विद्यालयों को दूसरे विद्यालयों में मर्ज करना पड़ रहा है और इससे विभाग को तमाम समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। सरकारी विद्यालयों के अभिभावकों ने नवागत जिलाधिकारी का ध्यान इस ओर आकृष्ट किया है।