दिल्ली में सियासी घमासान तेज हो गया है। आम आदमी पार्टी (AAP) के संयोजक अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने भाजपा पर विधायकों और उम्मीदवारों की खरीद-फरोख्त का आरोप लगाया है। उन्होंने दावा किया कि AAP के 16 उम्मीदवारों को 15-15 करोड़ रुपये और मंत्री पद का लालच दिया गया। इस मामले पर चर्चा के लिए उन्होंने सभी 70 उम्मीदवारों की बैठक बुलाई। चुनाव के नतीजों से पहले यह आरोप राजनीतिक हलकों में हलचल मचा रहा है।
भाजपा ने केजरीवाल के आरोपों को निराधार बताते हुए एलजी वी.के. सक्सेना से इसकी जांच की मांग की। पार्टी ने कहा कि बिना किसी ठोस सबूत के भाजपा पर इस तरह के गंभीर आरोप लगाए जा रहे हैं, जिससे जनता को गुमराह करने की कोशिश की जा रही है। इसके बाद एलजी ने एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) को मामले की जांच के आदेश दिए, जिसके तहत ब्यूरो की टीम केजरीवाल और संजय सिंह के घर पहुंची।
AAP के उम्मीदवार और दिल्ली सरकार में मंत्री मुकेश अहलावत ने भी आरोपों की पुष्टि की। उन्होंने कहा कि उन्हें एक कॉल आया था, जिसमें AAP छोड़ने और भाजपा में शामिल होने पर 15 करोड़ रुपये व मंत्री पद का ऑफर दिया गया। उन्होंने इसे लोकतंत्र के लिए खतरा बताते हुए भाजपा पर हमला बोला। अहलावत ने कथित कॉल का नंबर भी सोशल मीडिया पर साझा किया, जिससे मामला और गरमाता जा रहा है।
इस बीच, दिल्ली चुनाव के एग्जिट पोल के नतीजे भी सामने आए हैं। 14 में से 12 एग्जिट पोल भाजपा को बहुमत मिलने का दावा कर रहे हैं, जबकि 2 सर्वे AAP की सरकार बनने की संभावना जता रहे हैं। एक्सिस माई इंडिया के मुताबिक भाजपा को 45 से 55 सीटें मिल सकती हैं, जबकि अन्य सर्वे इसे 49 से 61 सीटों तक जाता देख रहे हैं। ऐसे में, भाजपा को बहुमत मिलता है या नहीं, यह तो नतीजों से ही स्पष्ट होगा, लेकिन मौजूदा विवाद ने राजनीतिक तापमान बढ़ा दिया है।
केजरीवाल के आरोपों और भाजपा की प्रतिक्रिया के बीच दिल्ली की राजनीति में नए मोड़ आते दिख रहे हैं। क्या यह AAP के लिए सहानुभूति बटोरने की रणनीति है, या सच में विधायकों की तोड़फोड़ की कोशिश हो रही है? जांच रिपोर्ट के आने के बाद ही इस पूरे घटनाक्रम की सच्चाई सामने आएगी, लेकिन चुनावी माहौल में इस विवाद ने निश्चित रूप से नई बहस छेड़ दी है।