डॉ विजय गर्ग
हमारे शरीर के भीतर एक शांत संचार होता रहता है। हमारी हर धड़कन, सांस और प्रतिरक्षा संकेत के पीछे मस्तिष्क और आंतरिक अंगों के बीच एक गुप्त संवाद छिपा होता है। यह निरंतर आदान-प्रदान हमें जीवित रखता है, लेकिन हम इसे कभी महसूस नहीं करते हैं। यह हमारी ‘छठी इंद्रिय’ है। विज्ञानी शरीर की इस अंतः संवेदना का अध्ययन करके यह पता लगाना चाहते हैं कि हमारा मस्तिष्क शरीर की जरूरतों के प्रति कैसे सजग रहता है। अंत: संवेदना के जरिए मस्तिष्क यह पता लगा लेता है कि आपके शरीर के अंदर क्या हो रहा है। इसके जरिए आप बिना किसी के बताए जान पाते हैं कि आपको कब भूख लगी है, कब प्यास लगी है, कब गर्मी लग रही है, कब ठंड लग रही है, या आपको शौचालय जाने की जरूरत है। यह जटिल प्रणाली ज्यादातर हमारी जानकारी से परे काम करती है। विज्ञानी इसे शरीर की ‘छिपी हुई छठी इंद्रिय’ कहते हैं, क्योंकि यह शरीर में संतुलन, आराम और तत्परता बनाए रखने के लिए
जिम्मेदार है। यह आंतरिक जागरूकता आपको भावनाओं को पहचानने और तनाव को नियंत्रित करने में मदद करती है। यह हमें यह भी बताती है कि शांत होने के लिए कब गहरी सांस लेनी है या ऊर्जा का स्तर कम होने पर कब नाश्ता करना है। अमेरिका के स्क्रिप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट और एलन इंस्टीट्यूट के विशेषज्ञों द्वारा शुरू की गई परियोजना का उद्देश्य इस रहस्यमय नेटवर्क का विस्तार से पता लगाना है।
अंतः संवेदना हमारी दृष्टि या श्रवण जैसी परिचित इंद्रियों से बहुत भिन्न होती जहां ये इंद्रियां बाहरी संकेतों का पता लगाने के लिए विशिष्ट अंगों पर निर्भर करती हैं, वहीं अंत: संवेदना शरीर की आंतरिक दुनिया पर नजर रखती है। इसका तंत्रिका कोशिकाओं का नेटवर्क
लगातार हृदय गति, पाचन, रक्तचाप और प्रतिरक्षा गतिविधि पर नजर रखता है। इसके महत्व के बावजूद अंत: संवेदना को लंबे समय से ठीक से समझा नहीं गया है । शरीर के भीतर से आने वाले संकेतों को रिकार्ड करना और उन्हें समझना मुश्किल होता है। इन्हें ले जाने वाली तंत्रिका कोशिकाएं अंगों में बिखरी हुई होती हैं और ऐसे ऊतकों में मिल जाती हैं जिन्हें अलग करना मुश्किल होता है। अंतः संवेदना शरीर की लगभग हर महत्वपूर्ण प्रक्रिया को प्रभावित करती है। जब यह संचार बाधित होता है, तो परिणाम गंभीर हो सकते हैं।
अध्ययनों ने अंतः संवेदना के बाधित संकेतों को आटोइम्यून रोगों, पुराने दर्द, उच्च रक्तचाप और स्नायु रोगों से भी जोड़ा है। नए अध्ययन से यह समझने मे मदद मिलेगी कि ऐसी स्थितियां क्यों होती हैं और उन्हें कैसे उलटा जा सकता है। यह शोध उन उपचारों को विकसित करने में भी मदद कर सकता है जो मस्तिष्क और शरीर के बीच संचार टूटने की स्थिति में आंतरिक संतुलन बहाल करते हैं।
डॉ विजय गर्ग सेवानिवृत्त प्रिंसिपल मलोट पंजाब






