विचारों की सुंदरता ही असली सुंदरता

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(फौजिया नसीम शाद-विनायक फीचर्स)

अक़्सर ख़ूबसूरती को केवल चेहरे की बनावट, रंगत और महंगे सौंदर्य-उत्पादों से जोड़ा जाता है। लेकिन यह सच नहीं है। बाहरी आकर्षण क्षणिक होता है, जो उम्र और परिस्थितियों के साथ बदल जाता है। सच्ची और स्थायी ख़ूबसूरती वह है, जो व्यक्ति के विचारों और ख्यालात के माध्यम से अभिव्यक्त होती है।
आपके विचार ही आपके व्यक्तित्व का आईना होते हैं। जैसी सोच वैसा व्यक्तित्व, यही वजह है कि जहां सकारात्मक सोच आपके चेहरे पर आत्मविश्वास और शांति की आभा बिखेरती है। वहीं आपकी नकारात्मक सोच आपके चेहरे और व्यवहार को कठोर और बदसूरत बना देती है। इसीलिए कहा जाता है-“चेहरे की मुस्कान आपकी सोच की गवाही देती है।”
ख़ूबसूरती का संबंध केवल दिखावे से नहीं, बल्कि इस बात से है कि आप दूसरों के सामने खुद को किस तरह पेश करती हैं। दयालुता, सहानुभूति और सच्चाई आपके व्यक्तित्व को आकर्षक बनाते हैं। घमंड, ईर्ष्या और स्वार्थ इसे बदसूरत बना देते हैं। यह पूरी तरह आप पर निर्भर करता है कि आप अपने व्यक्तित्व की पहचान क्या बनाना चाहती हैं।
रंग-रूप समय के साथ बदल जाता है, लेकिन अच्छे विचार और सकारात्मक दृष्टिकोण उम्र के हर पड़ाव पर आपको खूबसूरत बनाए रखते हैं। लोग आपकी सुंदरता को आपके चेहरे से नहीं, बल्कि आपके व्यवहार और आचरण से याद रखते हैं।
ख़ूबसूरती का सही अर्थ है अपने ख्यालात और सोच को संवारना। जब आपका दिल साफ़ होता है और विचार सकारात्मक होते हैं, तो चेहरा खुद-ब-खुद चमक उठता है।
वहां पर आपको किसी सौंदर्य प्रसाधनों के उपयोग की आवश्यकता नहीं रहती यही आंतरिक सौंदर्य सबसे स्थायी और प्रभावशाली होता है। मेरा एक शेर जिसे मैं यहां लिखना चाहूंगी —
” दिखना है जैसा तुमको उसे वैसा ही बना लो,
होता है तेरी सोच का चेहरा भी आईना।”
“ख़ूबसूरती चेहरे से नहीं, हमेशा हमारी सोच और अच्छे ख्यालात से झलकती है।”

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