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Thursday, November 27, 2025

प्रभु श्री राम और आधुनिक विज्ञान: परंपरा और प्रौद्योगिकी का अद्भुत संगम

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एक ऐसा दृष्टिकोण, जो आस्था और विज्ञान को टकराव नहीं, बल्कि सहयोग के रूप में देखता है

डॉ रजनी सरीन

मानव सभ्यता का इतिहास दो ध्रुवों पर चलता है—एक ओर अध्यात्म और आस्था, दूसरी ओर विज्ञान और तर्क। अक्सर इन्हें दो विपरीत दिशाओं में रखा जाता है, मानो दोनों का सह-अस्तित्व असंभव हो। परंतु जब हम भारतीय सभ्यता की ओर देखते हैं, तो एक अद्भुत तथ्य सामने आता है—हमारी संस्कृति में धर्म और विज्ञान कभी भी अलग नहीं रहे।
प्रभु श्री राम इसका सर्वश्रेष्ठ उदाहरण हैं। यदि आधुनिक वैज्ञानिक दृष्टिकोण से लक्षण, विचार, और सामाजिक संरचनाओं का विश्लेषण करें, तो रामायण केवल धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि एक उन्नत, सुविचारित और वैज्ञानिक जीवन पद्धति का भी दर्शन कराती है।
आधुनिक मनोविज्ञान कहता है कि नेतृत्व, अनुशासन, निर्णय क्षमता और संतुलित भावनाएं किसी भी समाज के विकास की कुंजी हैं। श्री राम इनमें से हर गुण का वैज्ञानिक रूप से परिपक्व उदाहरण हैं। मनोविज्ञान में ऐसी क्षमताओं को इमोशनल इंटेलिजेंस कहा जाता है, जो आधुनिक नेतृत्व प्रशिक्षण का मुख्य आधार है।
रामायण में वर्णित सेतु निर्माण सदियों से वैज्ञानिक शोध का विषय रहा है। उपग्रह चित्रों में आज भी श्रीलंका और भारत के बीच दिखाई देने वाली श्रृंखला वैज्ञानिक रुचि जगाती है। भूवैज्ञानिक इसे प्यूमिस स्टोन फॉर्मेशन कहते हैं, परंतु यह तथ्य अपने आप में रोमांचक है कि हजारों साल पहले समुद्री संरचना और भौगोलिक स्थिति का इतना सटीक वर्णन ग्रंथों में दर्ज था। यह दिखाता है कि प्राचीन भारत में भू-विज्ञान, जल-विज्ञान और वास्तु का पर्याप्त ज्ञान मौजूद था।
श्री राम का 14 वर्षों का वनवास केवल धार्मिक कथा नहीं, बल्कि पर्यावरण विज्ञान की दृष्टि से एक शोध-यात्रा जैसा है। उन्होंने विभिन्न जनजातियों के साथ समन्वय स्थापित किया, विविध भौगोलिक क्षेत्रों का अध्ययन किया, प्रकृति, वनस्पतियों और जीव-जंतुओं के संसार को समझा। आज के एथनोग्राफिक रिसर्च और एनवायरनमेंटल स्टडीज़ इन्हीं सिद्धांतों पर आधारित हैं। रामायण भारतीय सभ्यता में प्रकृति को केंद्र में रखकर चलने की वैज्ञानिक सोच को प्रमाणित करती है।
हनुमान जी की शक्ति को अक्सर चमत्कार कहा जाता है, पर आधुनिक विज्ञान इसे मानव क्षमता का चरम रूप मानता है। मानव शरीर में मौजूद ऊर्जा, एड्रेनालिन, मांसपेशीय संभावनाएं—ये सब वैज्ञानिक रूप से सिद्ध हैं, बस उन्हें जागृत करना कठिन है। हनुमान जी ऊर्जा-संचयन, मानसिक एकाग्रता और आत्मविश्वास की वैज्ञानिक पराकाष्ठा का रूप हैं, जिसे आज ह्यूमन पोटेंशियल साइंस के नाम से जाना जाता है। श्री राम का राज्य मॉडल—आधुनिक प्रशासनिक विज्ञान का आधार है। राम राज्य को अक्सर आदर्श शासन कहा जाता है, लेकिन यह आधुनिक गुड गवर्नेंस के नियमों पर भी खरा उतरता है पारदर्शिता, जन-सहभागिता, न्याय-आधारित व्यवस्था, नैतिक प्रशासन, समान अधिकार और अवसर आज के लोकतांत्रिक प्रशासन की मूल अवधारणाएँ इन्हीं सिद्धांतों पर आधारित हैं। प्रभु श्री राम यह साबित करते हैं कि विज्ञान सत्य की खोज है, और अध्यात्म सत्य का अनुभव। दोनों का लक्ष्य एक ही है—मानव जीवन को श्रेष्ठ, संतुलित और सार्थक बनाना।
भारतीय संस्कृति ने कभी भी विज्ञान को धर्म का विरोध नहीं माना। यहाँ ऋषि मुनि वैज्ञानिक थे, और वैज्ञानिक ऋषियों से सीखते थे। रामायण इस विचारधारा को सबसे सुंदर तरीके से प्रस्तुत करती है। आधुनिक दृष्टि से देखें तो श्री राम का जीवन किसी धार्मिक सीमा में बंधा नहीं है। यह एक समग्र वैज्ञानिक, सामाजिक, मनोवैज्ञानिक और सांस्कृतिक मॉडल है, जिसे अपनाकर आज का समाज भी दिशा पा सकता है। श्री राम पर विश्वास आस्था का विषय हो सकता है, लेकिन श्री राम के सिद्धांत विज्ञान, विवेक, मर्यादा, नेतृत्व और मानवता हर युग में प्रासंगिक रहे हैं और रहेंगे। अंतत:, श्री राम और विज्ञान दोनों मानव जीवन को प्रकाश देने वाले दो दीपक हैं— एक मन को रोशन करता है, दूसरा बुद्धि को।
(लेखक जानी-मानी चिकित्सा एवं वरिष्ठ भाजपा नेत्री हैं।)

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भारतीय सिनेमा के सदाबहार अभिनेता धर्मेंद्र सिर्फ एक सुपरस्टार नहीं थे—वे एक विचार थे, एक सादगी थे, एक प्रेम थे और एक ऐसा जीवन-दर्शन थे, जिसे आज भी लाखों लोग अपनाना चाहेंगे। पर्दे पर शक्ति, गंभीरता, रोमांस और हास्य के प्रतीक बने धर्मेंद्र असल जीवन में उतने ही सहज, शांत और दार्शनिक थे।जीवन के अंतिम वर्षों में उन्होंने एक बेहद गहरी बात कही थी— स्वस्थ तन और मन ही असली पूंजी है। बाकी सब यहीं छूट जाता है। पता नहीं करने के बाद कहां ले जाते हैं। उनके ये शब्द किसी फिल्मी संवाद की तरह नहीं, बल्कि जिंदगी के सार का निचोड़ हैं। धर्मेंद्र ने अपने लंबे, सक्रिय और ऊर्जावान जीवन में यह साबित किया कि स्वास्थ्य केवल शरीर तक सीमित नहीं—यह मन की शांति, आत्मा की स्थिरता और जीवन की सरलता से जुड़ा हुआ है। उनकी फिटनेस, उनकी मुस्कान, उनका संतुलित व्यवहार—सब कुछ इस बात का प्रमाण था कि वे शरीर और मन की एकता को समझते थे। वे अक्सर कहा करते थे— शरीर को मजबूत रखो और मन को साफ़—यही दुनिया की सबसे बड़ी कमाई है। आज के तनावग्रस्त जीवन में यह संदेश और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। विश्वभर में लोकप्रियता और धन-संपत्ति हासिल करने के बावजूद उन्होंने कभी अपने मूल स्वभाव को नहीं छोड़ा।कहते हैं कि धर्मेंद्र की सबसे बड़ी पहचान उनका दिल से जुड़ाव था—वे लोगों को सम्मान देते थे, और हर व्यक्ति में इंसानियत देखते थे। वे कहते थे,सब कुछ यहीं रह जाता हैज् नाम, शोहरत, दौलत। मनुष्य के साथ सिर्फ उसके कर्म जाते हैं। उनके इन शब्दों में वह गहराई है, जिसे समझना जीवन का सबसे बड़ा पाठ बन सकता है। धर्मेंद्र अक्सर जीवन के अनिश्चित सफर के बारे में बात करते थे। उनका वह वाक्य पता नहीं करने के बाद कहां ले जाते हैं एक साधारण लेकिन अत्यंत गूढ़ भाव है। यह मनुष्य की समग्र यात्रा का वास्तविक और विनम्र स्वीकार है। इसमें कोई भय नहीं, बल्कि एक प्रश्न है, एक जिज्ञासा है—जो हर व्यक्ति के मन में कहीं न कहीं छिपी रहती है। उन्होंने जीवन को गंभीरता से नहीं, बल्कि सहजता से लिया। और मृत्यु को अंत नहीं, एक पड़ाव माना। भारत के सबसे बड़े एक्शन हीरो, सबसे लोकप्रिय स्टार और करोड़ों दिलों के चहेते होने के बावजूद धर्मेंद्र ने कभी अपने जीवन को अहंकार के बोझ से नहीं भरने दिया। वे हमेशा कहते थे जो मिला, उसी में खुश रहना सीखो।क्योंकि अंत में सब समाप्त हो जाता है,बस इंसान की अच्छाई रह जाती है। उनका यह जीवन-फिलॉसफी हर उम्र के व्यक्ति के लिए प्रेरणा है। धर्मेंद्र ने फिल्मों में जितने किरदार निभाए, वे सब आज भी भारतीय सिनेमा की धरोहर हैं शोले के वीरू से लेकर बंधिनी, अनुपमा, चुपके चुपके और हमराज़ तक—हर किरदार में उन्होंने जीवन की सच्चाई, भावनाओं की गहराई और इंसानियत की गर्माहट को जिया और असल जीवन में उनकी सीखें स्वस्थ रहो, मन को साफ़ रखो, रिश्तों को महत्व दो, सब कुछ यहीं रह जाता है आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं। धर्मेंद्र भले अब इस दुनिया में न हों, लेकिन उनके शब्द, उनकी सादगी, उनकी मुस्कान और उनका जीवन-दर्शन आने वाली पीढिय़ों को प्रेरित करता रहेगा। उन्होंने हमें यह सिखाया जीवन की असली संपत्ति पैसा नहीं,स्वस्थ तन, शांत मन और अच्छा दिल है।यही धर्मेंद्र की विरासत है। यही उनकी अमरता है।

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