
डॉ दिव्यांशु विश्वकर्मा
आयुर्वेद, भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धति, सदियों से लोगों के जीवन में स्वास्थ्य, संतुलन और दीर्घायु बनाए रखने का मार्ग दिखा रही है। आयुर्वेद शब्द दो शब्दों ‘आयु’ और ‘वेद’ से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है जीवन का विज्ञान। यह केवल बीमारियों के इलाज तक सीमित नहीं है, बल्कि यह शरीर, मन और आत्मा के संतुलन पर आधारित जीवनशैली प्रदान करता है। आयुर्वेद के अनुसार मानव शरीर तीन दोषों – वात, पित्त और कफ के संतुलन पर निर्भर करता है और इन दोषों में असंतुलन ही विभिन्न रोगों का कारण बनता है। आयुर्वेदिक उपचार का मूल उद्देश्य इन दोषों को संतुलित करना, रोगों को रोकना और शरीर की प्राकृतिक क्षमता को सक्रिय करना है।
आयुर्वेदिक चिकित्सा प्राकृतिक जड़ी-बूटियों, पंचकर्म, योग, प्राणायाम और संतुलित आहार पर आधारित है, जो शरीर को बिना किसी नुकसान के स्वस्थ बनाए रखती है। तुलसी, हल्दी, आंवला और अश्वगंधा जैसी हर्बल दवाओं का उपयोग रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने, पाचन सुधारने और मानसिक स्वास्थ्य को मजबूत बनाने में होता है। इसके विपरीत, आधुनिक अंग्रेजी दवाओं का अत्यधिक प्रयोग अक्सर शरीर के लिए हानिकारक साबित होता है। ये दवाएँ तुरंत राहत जरूर देती हैं, लेकिन इनके लंबे समय तक सेवन से लीवर, किडनी और पेट जैसी महत्वपूर्ण अंगों पर दबाव पड़ता है। साथ ही, इन दवाओं से शरीर की प्राकृतिक प्रतिरोधक क्षमता भी कमजोर हो सकती है।
आयुर्वेद न केवल रोगों का इलाज करता है, बल्कि यह दीर्घकालिक स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने में भी सहायक है। यह मानसिक तनाव को कम करता है, अनिद्रा और कमजोरी जैसी समस्याओं से राहत दिलाता है और शरीर के प्राकृतिक संतुलन को बनाए रखता है। आधुनिक जीवन की तेज़ रफ्तार, प्रदूषण और असंतुलित आहार के कारण शरीर में विषाक्त पदार्थ जमा हो जाते हैं, ऐसे में आयुर्वेद प्राकृतिक और सुरक्षित समाधान प्रदान करता है। सरकार और स्वास्थ्य विशेषज्ञों की ओर से भी अब आयुर्वेद को बढ़ावा दिया जा रहा है ताकि लोग प्राकृतिक चिकित्सा की ओर लौटें और शरीर व मन को सुरक्षित, स्वस्थ और संतुलित रखें।
इस प्रकार, आयुर्वेद केवल एक चिकित्सा पद्धति नहीं है, बल्कि यह जीवन जीने का समग्र तरीका है। इसे अपनाकर व्यक्ति न केवल रोगों से बच सकता है, बल्कि शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से सशक्त और स्वस्थ जीवन जी सकता है। प्राकृतिक उपायों, हर्बल उपचारों और संतुलित जीवनशैली के माध्यम से आयुर्वेद हमें यह सिखाता है कि स्वास्थ्य केवल दवा लेने भर से नहीं, बल्कि प्राकृतिक संतुलन और जीवनशैली के सामंजस्य से संभव है।
लेखक हेल्थकेयर पाली क्लीनिक फतेहगढ़ के डॉ है।





