कानपुर नगर। कानपुर के खासपुर गांव में वर्षों से फैले अपराध और जातिगत संरक्षण की राजनीति पर आखिरकार शासन-प्रशासन ने सख्त रुख अपनाया है। राज्य सरकार के कैबिनेट मंत्री और अपना दल (एस) के मुखिया आशीष पटेल की सक्रियता और फटकार के बाद पुलिस हरकत में आई और मात्र 7 घंटे में आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। यह वही पुलिस थी जो कई दिनों से आरोपियों को छूने तक से कतरा रही थी।
72 घंटे का अल्टीमेटम, 7 घंटे में कार्रवाई
खासपुर गांव पहुंचे मंत्री आशीष पटेल ने बिल्हौर कोतवाली प्रभारी और हलका इंचार्ज को कड़ी फटकार लगाई और बाबा साहब के संविधान का पाठ पढ़ाते हुए 72 घंटे में आरोपियों की गिरफ्तारी का अल्टीमेटम दिया। दबाव के बाद पुलिस हरकत में आई और अगले ही दिन आरोपियों को सलाखों के पीछे पहुंचा दिया।
जातिगत संरक्षण से पनप रहा था अपराध
स्थानीय सूत्रों के मुताबिक, अपराधी ननकू और उसके गिरोह को लंबे समय से राजनैतिक संरक्षण प्राप्त था। बताया जा रहा है कि ये आरोपी बसपा से भाजपा में आए पूर्व विधायक कमलेश दिवाकर और वर्तमान भाजपा विधायक राहुल बच्चा उर्फ सोनकर के करीबी थे और इन्हीं की जाति से ताल्लुक रखते थे। इसी कारण पुलिस हाथ डालने से बच रही थी।
‘मकान बिकाऊ’ के पोस्टर से मचा था हड़कंप
खासपुर में ननकू के आतंक से परेशान होकर करीब तीन दर्जन कटिहार समुदाय के परिवारों ने अपने घरों के बाहर ‘मकान बिकाऊ है’ के पोस्टर लगा दिए थे, जिससे शासन-प्रशासन में हड़कंप मच गया था। इस घटना के बाद मंत्री आशीष पटेल ने मोर्चा संभाला और अपने पार्टी कार्यकर्ता तथा पीड़ित पूर्व प्रधान की मदद के लिए मैदान में उतर आए।
इससे पहले अपना दल (एस) के कन्नौज जिलाध्यक्ष दिनेश कटिहार ने भी दो दिन पूर्व पुलिस उपायुक्त से मुलाकात कर आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग की थी। इसके बाद पुलिस उपायुक्त ने आश्वासन देते हुए कार्रवाई का भरोसा दिलाया और संबंधित पुलिसकर्मियों को जमकर फटकार लगाई।
भाजपा विधायक राहुल बच्चा की खुली किरकिरी
खासपुर में जब मंत्री आशीष पटेल पहुंचे तो वहां क्षेत्रीय भाजपा विधायक राहुल बच्चा सोनकर भी पहुंचे। लेकिन स्थानीय लोगों और कार्यकर्ताओं ने उनकी खुलकर आलोचना की क्योंकि उन्होंने पूर्व में 8 दिनों के भीतर गिरफ्तारी का वादा किया था, जो वह निभा नहीं पाए।
अपना दल (एस) की सक्रियता से मिला न्याय
अंततः अपना दल (एस) के हस्तक्षेप और मंत्री आशीष पटेल की दबंगई से पीड़ितों को न्याय मिला। इस पूरे घटनाक्रम से यह संदेश गया कि शासन में बैठे लोग अगर ईमानदारी से हस्तक्षेप करें तो पुलिस को भी मजबूर होकर निष्पक्ष कार्रवाई करनी पड़ती है।
यह मामला स्थानीय राजनीति, जातिगत संरक्षण, और कानून व्यवस्था के पेचीदा संबंधों को उजागर करता है। यदि शासन और प्रशासन इस प्रकार सजग रहे तो आमजन को समय पर न्याय मिलना संभव है।