यूथ इंडिया, लखनऊ। उत्तर प्रदेश में साल 2017 में हुए विधानसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी (सपा) के संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने अपने बेटे और तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं करने की नसीहत दी थी। हालांकि, उन्होंने अपने पिता की नसीहत को नजरअंदाज कर दिया। मुलायम सिंह ने अखिलेश यसे कहा था कि कांग्रेस के साथ गठबंधन करने का कोई फायदा नहीं है। इसके बावजूद उन्होंने गठबंधन किया और यूपी में 400 में से 100 से अधिक सीटें कांग्रेस पार्टी को दे दीं।
विधानसभा चुनाव के नतीजे जब सामने आए तो मुलायम सिंह की बात सच साबित हुई। बीजेपी की ऐतिहासिक और प्रचंड जीत हुई। न्यूज 18 ने सपा के एक टॉप लीडर के हवाले से कहा, ”अखिलेश यादव ने तब सबक सीखा कि कांग्रेस उत्तर प्रदेश में सपा को मिटा देती। इसके बाद उन्होंने 2017 की तुलना में कहीं बेहतर प्रदर्शन करते हुए 2022 में कांग्रेस से किनारा कर लिया।”‘
अमेठी-रायबरेली में उतारेंगे कैंडिडेट?
कांग्रेस को लेकर अखिलेश यादव की वर्तमान चिढ़ के पीछे 2017 के चुनाव में मिली सबक है। फिलहाल हालात ऐसे हो गए हैं कि सपा में कुछ लोगों को ऐसा लगता है कि अगर कांग्रेस और सपा में नहीं बनी तो अखिलेश यादव 2024 के लोकसभा चुनाव में अमेठी और रायबरेली में बीजेपी के साथ-साथ कांग्रेस के खिलाफ भी उम्मीदवार उतारेंगे। आपको बता दें कि दोनों ही सीट कांग्रेस परिवार की परंपरागत सीट रही है। कांग्रेस के इन गढ़ों में उम्मीदवार नहीं उतारे हैं। हालांकि इसके बावजूद 2019 के चुनाव में राहुल गांधी को यहां हार का सामना करना पड़ा था।
अजय राय ने किया असहज
वर्तमान में उत्तर प्रदेश में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के रिश्ते कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय के कारण असहज हो रहे हैं। उन्होंने सपा के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाया है। उन्होंने हाल ही में सवाल किया था कि सपा यूपी में इतनी मजबूत थी तो पिछले साल आज़मगढ़ लोकसभा उपचुनाव कैसे हार गई। अखिलेश यादव ने भी पलटवार किया। उन्होंने कहा उनका आजमगढ़ से भावनात्मक रिश्ता है, जैसे कांग्रेस का अमेठी और रायबरेली से है। उन्हें इस बात का ध्यान रखना चाहिए।
एमपी में कांग्रेस नहीं दिखी उदार
कांग्रेस मध्य प्रदेश चुनाव में सपा के प्रति कम उदार दिखी है। उसने सपा के लिए एक भी सीट नहीं छोड़ी है। कांग्रेस ने इस बात पर जोर दिया है कि गठबंधन केवल लोकसभा चुनावों के लिए है, राज्य के चुनावों में इसका कोई असर नहीं होगा। अखिलेश यादव ने कहा है कि कांग्रेस को इंडिया गठबंधन के गठन के समय ही यह बात स्पष्ट कर देनी चाहिए थी। अखिलेश यादव कांग्रेस के इस कदम से नाराज चल रहे हैं। उन्होंने 2024 में कांग्रेस को उसी कीमत पर जवाब देने का वादा किया है।