यूथ इंडिया (शरद कटियार)
फर्रुखाबाद। यूपी सरकार द्वारा अपराध और माफियाओं के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति की घोषणा के बावजूद, अनुपम दुबे गैंग का काला साम्राज्य फल-फूल रहा है। पुलिस और प्रशासनिक तंत्र में सेंधमारी कर यह गैंग खुलेआम अपना कारोबार चला रहा है। आरोप है कि स्थानीय प्रशासन और पुलिस द्वारा माफिया के मुख्य गुर्गों पर महरबानी दिखाई जा रही है, जिससे कानून व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं।
काले कोट की आड़ में गैंग को मिल रही ऑक्सीजन
सूत्रों के अनुसार, माफिया अनुपम दुबे के गुर्गे कोर्ट और कोतवाली के बीच अपने काले कारोबार का जाल फैलाए हुए हैं। कानूनी व्यवस्था का गलत इस्तेमाल कर इन गुर्गों द्वारा गैंग के खिलाफ चल रहे मामलों को कमजोर किया जा रहा है, जिससे गैंग को हाई कोर्ट तक राहत मिल रही है।
पुलिस संरक्षण में मोटी दलाली का खेल
अनुपम दुबे गैंग पर प्रशासनिक और पुलिस संरक्षण का गंभीर आरोप है। यह भी दावा किया जा रहा है कि स्थानीय पुलिस मोटी दलाली के जरिए माफिया की गतिविधियों को अनदेखा कर रही है। सूत्र बताते हैं कि यह गैंग न सिर्फ स्थानीय व्यापार पर हावी है, बल्कि कई अवैध धंधों में भी लिप्त है।
सरकार के मंसूबों पर पानी फेर रहा माफिया
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जीरो टॉलरेंस नीति के बावजूद माफिया अनुपम दुबे का काला साम्राज्य प्रशासन की मिलीभगत से चल रहा है। माफिया का असर इतना मजबूत है कि सरकारी तंत्र के कुछ हिस्से माफिया के सामने नतमस्तक दिखाई दे रहे हैं। पुलिस द्वारा अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है, जबकि दुबे गैंग के कई बड़े गुर्गे खुलेआम घूम रहे हैं।
आंकड़े बताते हैं पुलिस की नाकामी
वर्ष 2023 में प्रदेशभर में माफियाओं के खिलाफ 2,000 से अधिक मामले दर्ज हुए, जिनमें से 1,200 मामलों में गिरफ्तारी हुई, लेकिन फर्रुखाबाद में अनुपम दुबे गैंग के खिलाफ एक भी ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। बीते तीन सालों में फर्रुखाबाद में 40 से अधिक मामलों में अनुपम दुबे का नाम सामने आया, लेकिन अब तक कोई ठोस नतीजा नहीं निकला।
निचले तबके को हो रही दिक्कतें
अनुपम दुबे के गैंग का प्रभाव स्थानीय व्यापारियों और आम जनता पर भी दिखने लगा है। शहर के कई क्षेत्रों में व्यापारियों को धमकी देकर उगाही की जा रही है, जबकि स्थानीय प्रशासन इस पर चुप्पी साधे हुए है।
अनुपम दुबे का गिरोह कानून के दायरे से बाहर हो चुका है और उसे रोकने में प्रशासनिक नाकामी साफ दिख रही है। सरकार की माफिया विरोधी नीति के बावजूद इस गैंग को पुलिस का संरक्षण प्राप्त है, जिससे गैंग अपने अवैध धंधों को बेखौफ तरीके से चला रहा है। प्रशासनिक तंत्र की यह नाकामी सरकार के प्रयासों पर भी सवालिया निशान खड़ा करती है।