EOW ने पकड़ा चंद्रभान वर्मा, हिंदुस्तान उर्वरक रसायन लिमिटेड के स्टेट हेड अरुणी कुमार पर भी बड़े खुलासे तय
लखनऊ। बहुचर्चित उर्वरक सब्सिडी घोटाले में शुक्रवार को आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन (EOW) ने एक और बड़ी कार्रवाई करते हुए अभियुक्त चंद्रभान वर्मा को लखनऊ से गिरफ्तार कर लिया है। यह मामला भले ही 2006 से चल रहा हो, लेकिन अब जो परतें खुल रही हैं, उससे प्रदेश स्तर पर उर्वरक आपूर्ति के नाम पर एक सुनियोजित भ्रष्ट नेटवर्क का पर्दाफाश होना तय माना जा रहा है।
लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि – क्या इस घोटाले का असली सूत्रधार अब भी सिस्टम की पकड़ से दूर है?
सूत्रों के मुताबिक, हिंदुस्तान उर्वरक रसायन लिमिटेड (HURL) में उत्तर प्रदेश के स्टेट हेड अरुणी कुमार का नाम इस पूरे खेल की सबसे अहम कड़ी के रूप में सामने आ रहा है। बताया जा रहा है कि अरुणी कुमार अपने करीबी धीरज और कुछ अन्य अधिकारियों के साथ मिलकर उर्वरक की सप्लाई चेन पर एकछत्र दबदबा बनाए हुए था।
डिस्ट्रीब्यूटर्स पर मनमाने ढंग से चंदा वसूलना, मंदिर निर्माण के नाम पर धन मांगना, और बोरियों की आपूर्ति में मनमानी—ये सब लंबे समय से चल रहा एक ‘साइलेंट सिंडिकेट’ था, जिसे अब पर्दे के पीछे से ऑपरेट किया जा रहा है।
हालांकि भारत सरकार के निर्देश पर अरुणी कुमार के खिलाफ एक बड़ी जांच बैठाई गई है और विभागीय सतर्कता टीम ने उनसे पूछताछ भी की है, लेकिन उच्च अधिकारियों की ‘करुणा’ और ‘संरक्षण’ के चलते कार्रवाई अभी तक केवल कागजों तक सीमित रही है।
राज्य के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच के आदेश जरूर दे दिए हैं, लेकिन ज़मीनी स्तर पर अब तक कोई ठोस एक्शन नहीं लिया गया।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि अरुणी कुमार की संपत्ति, बैंक लेनदेन और फील्ड नेटवर्क की जांच की जाए तो प्रदेशभर में फैले इस रासायनिक भ्रष्टाचार की परत-दर-परत सच्चाई सामने आ सकती है।
अब जब EOW ने एक-एक कर पुराने अभियुक्तों की गिरफ्तारी शुरू कर दी है, तो आने वाले दिनों में यह घोटाला प्रदेश की नौकरशाही, सप्लाई चेन, और राजनीतिक साठगांठ का सबसे बड़ा चेहरा उजागर कर सकता है।
सवाल यही है – क्या अरुणी कुमार को बचाने की ‘ऊपरी ताकतें’ अब भी सक्रिय हैं, या आने वाले वक्त में ईमानदार जांच इस रासायनिक घोटाले को पूरी तरह उजागर करेगी?
पूरा प्रदेश अब इस जवाब का इंतजार कर रहा है।