– अखिलेश यादव से हुई मुलाकात के बाद अटकलें तेज़, बीजेपी से नाराज चल रहे कई जातीय वर्ग
फर्रुखाबाद। 2027 विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे करीब आ रहे हैं, वैसे-वैसे राजनीतिक हलचलें तेज़ होती जा रही हैं। फर्रुखाबाद की सदर विधानसभा सीट पर समाजवादी पार्टी ने जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों को देखते हुए अपनी रणनीति को धार देना शुरू कर दिया है। इसी क्रम में पूर्व स्वास्थ्य मंत्री अनंत कुमार मिश्रा की सक्रियता और सपा प्रमुख अखिलेश यादव से हुई मुलाकात को निर्णायक मोड़ माना जा रहा है।
इस बार सदर सीट पर ओबीसी और मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका में रहने वाले हैं। कुर्मी, शाक्य, लोहार, लोधी जैसे पिछड़े वर्गों के साथ-साथ ब्राह्मण, ठाकुर और मुस्लिम मतदाताओं का नाराज़गी भरा रुझान भारतीय जनता पार्टी के लिए चिंता का विषय बनता जा रहा है।
फर्रुखाबाद सदर में लगभग 60% मतदाता ओबीसी और मुस्लिम समुदाय से आते हैं। इनमें कुर्मी, शाक्य, लोहार, लोधी जैसे वर्ग बीजेपी की नीतियों से असंतुष्ट बताए जा रहे हैं। विशेषकर बेरोजगारी, महंगाई, आरक्षण पर असंतोष और स्थानीय जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा ने इनके भीतर नाराज़गी को जन्म दिया है।
वहीं मुस्लिम मतदाताओं का झुकाव पहले से ही सपा की ओर रहा है, जिसे एकजुट करने की कवायद तेज़ हो चुकी है। ऐसे में यदि सपा एक ब्राह्मण चेहरे — अनंत कुमार मिश्रा जैसे वरिष्ठ और अनुभवी नेता — को आगे करती है, तो वह बहुस्तरीय जातीय गठजोड़ बनाकर सीट जीतने की मजबूत स्थिति में आ सकती है।
ब्राह्मण समुदाय वर्षों से राजनीतिक रूप से उपेक्षित महसूस कर रहा था। अब यदि पार्टी अनंत मिश्रा जैसे कद्दावर नेता को टिकट देती है, तो यह ब्राह्मणों को सपा के पक्ष में मोड़ने का प्रभावशाली संदेश देगा। मिश्रा न केवल ब्राह्मणों में स्वीकार्य हैं, बल्कि प्रशासनिक दक्षता, सरल छवि और पुराने कार्यकर्ताओं से उनका जुड़ाव भी पार्टी के लिए लाभकारी साबित हो सकता है।
बीजेपी से बढ़ती नाराजगी
स्थानीय स्तर पर बीजेपी को लेकर आम जनता, खासकर युवाओं, किसानों और बेरोजगारों में नाराज़गी साफ देखने को मिल रही है। भाजपा सरकार के कार्यकाल में महंगाई, पेपर लीक, पुलिस भर्ती जैसी समस्याओं ने लोगों के भरोसे को डगमगाया है। ओबीसी वर्ग में भी प्रतिनिधित्व को लेकर असंतोष पनप रहा है।
राजनीतिक विश्लेषकों की राय
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर समाजवादी पार्टी ने ओबीसी-मुस्लिम-ब्राह्मण गठजोड़ को समय रहते मज़बूत किया और एक सर्वमान्य चेहरा मैदान में उतारा तो सदर सीट पर सीधा मुकाबला भाजपा से हो सकता है, जिसमें सपा की स्थिति इस बार मज़बूत नजर आ रही है।
फर्रुखाबाद की सदर विधानसभा में सियासत की पटकथा तेजी से बदल रही है। ओबीसी-मुस्लिम मतदाताओं की निर्णायक भूमिका, बीजेपी से नाराज चल रहे वर्ग और ब्राह्मण चेहरे के तौर पर अनंत मिश्रा की सक्रियता ने चुनावी मैदान को दिलचस्प बना दिया है। यदि समाजवादी पार्टी इन समीकरणों को समय रहते साध ले, तो सदर सीट पार्टी के खाते में आ सकती है।
ब्राह्मण समाज से मिला मजबूत समर्थन
अनंत मिश्रा की मुलाकात को मजबूत आधार देने पहुंचे समाज के प्रमुख चेहरे
फर्रुखाबाद दौरे के दौरान कई ब्राह्मण समाज के प्रतिष्ठित लोगों ने पूर्व मंत्री अनंत मिश्रा की सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव से भेंट कराने में अहम भूमिका निभाई।
इनमें शिक्षाविद, अधिवक्ता, सेवानिवृत्त अधिकारी व पूर्व प्रधान जैसे प्रभावशाली नाम शामिल रहे।
समाज के इन नेताओं ने सपा नेतृत्व के समक्ष मिश्रा की राजनीतिक अनुभवशीलता व जनसमर्थन को रखते हुए उन्हें सदर से प्रत्याशी बनाए जाने की अपील की।
सूत्रों के मुताबिक, यह मुलाकात काफी सकारात्मक रही और सपा हाईकमान ने गंभीरता से प्रस्ताव पर विचार का संकेत भी दिया।
🗣️ “अनंत भैया वर्षों से समाज के सुख-दुख में साथ रहे हैं, अब वक्त है उन्हें सदन में भेजने का”
– एक ब्राह्मण समाज के वरिष्ठ प्रतिनिधि