आर्थिक मोर्चे से लेकर कूटनीतिक स्तर तक मुश्किलों में फंसा पाकिस्तान, वैश्विक समर्थन भी घटा
नई दिल्ली: भारत (India) के साथ जारी तनावपूर्ण संबंधों के बीच पाकिस्तान (Pakistan) को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई झटके लग रहे हैं। राजनीतिक अस्थिरता, डूबती अर्थव्यवस्था और आतंकवाद पर निष्क्रिय रवैये के कारण पाकिस्तान अब वैश्विक मंचों पर भी अलग-थलग पड़ता जा रहा है। हाल ही में भारत द्वारा सीमा पार की गतिविधियों पर सख्त रुख अपनाया गया है। जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) में बढ़ी आतंकी गतिविधियों और LoC पर संघर्षविराम उल्लंघनों के जवाब में भारत ने पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश दिया है कि वह सुरक्षा से कोई समझौता नहीं करेगा।
भारतीय सेना के अनुसार, 2024 में अब तक पाकिस्तान की ओर से 65 बार संघर्षविराम का उल्लंघन किया गया है, जो कि 2023 की तुलना में 30% अधिक है। इसके जवाब में भारतीय सेना ने कड़ी कार्रवाई करते हुए कई बार आतंकी लॉन्च पैड्स को भी निशाना बनाया। दूसरी तरफ, पाकिस्तान की आर्थिक हालत बद से बदतर होती जा रही है।
पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, विदेशी मुद्रा भंडार मात्र 8.2 अरब डॉलर रह गया है, जो तीन सप्ताह की आयात जरूरतों को भी पूरा नहीं कर सकता। देश की मुद्रास्फीति दर (Inflation rate) अप्रैल 2025 में 28.3% पहुंच गई है, जो दक्षिण एशिया में सबसे अधिक है। IMF द्वारा मिले 3 अरब डॉलर के बेलआउट पैकेज के बावजूद, पाकिस्तान में निवेशकों का भरोसा लगातार गिर रहा है। पाकिस्तान को पहले जिन देशों का समर्थन प्राप्त होता था, वे भी अब उससे दूरी बना रहे हैं।
G20 और SCO जैसे मंचों पर भारत की सक्रियता और प्रभाव ने पाकिस्तान की दावेदारी कमजोर कर दी है। संयुक्त राष्ट्र की आतंकवाद-रोधी समितियों में भारत ने पाकिस्तान आधारित आतंकी संगठनों पर कई प्रस्ताव पारित करवाए हैं, जिनमें हाफिज सईद और मसूद अजहर जैसे नाम शामिल हैं। भारत ने हाल ही में अमेरिका, फ्रांस, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के साथ रणनीतिक संबंध और मजबूत किए हैं।
क्वाड (QUAD) और G20 अध्यक्षता जैसे मंचों पर भारत की भूमिका ने उसे वैश्विक नेतृत्वकर्ता की छवि प्रदान की है। संयुक्त राष्ट्र में भारत को 183 वोटों के साथ सुरक्षा परिषद की अस्थायी सदस्यता दोबारा मिली, जबकि पाकिस्तान को अफगान मुद्दे पर भी सीमित समर्थन मिला।
विदेश नीति विशेषज्ञ प्रो. अनिल त्रिपाठी कहते हैं, “पाकिस्तान को चाहिए कि वह भारत के खिलाफ उग्रवाद और आतंकवाद को बढ़ावा देने के बजाय, घरेलू विकास और वैश्विक सहयोग की दिशा में काम करे। भारत की नीति अब स्पष्ट है — सुरक्षा और कूटनीति दोनों में कोई समझौता नहीं।” भारत के साथ बढ़ते तनाव के इस दौर में पाकिस्तान को जिस तरह से अंतरराष्ट्रीय, आर्थिक और सामरिक स्तर पर झटके लग रहे हैं, वह साफ इशारा करता है कि बिना ठोस नीति परिवर्तन के इस्लामाबाद की स्थिति और भी कठिन हो सकती है।