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Tuesday, October 28, 2025

नाबालिग बलात्कार पीड़िता को मुआवज़ा न मिलने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट गंभीर, अधिकारियों को दिए आदेश

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लखनऊ: इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) की लखनऊ पीठ ने एक नाबालिग बलात्कार पीड़िता (minor rape victim) को सरकारी योजना के तहत मुआवज़ा न दिए जाने को गंभीरता से लिया है। न्यायालय ने अधिकारियों को आदेश दिया है कि वे पीड़िता को नियमानुसार तीन दिन के भीतर तीन लाख रुपये का मुआवज़ा दें और देरी के लिए 15 दिनों के भीतर दो लाख रुपये का अतिरिक्त मुआवज़ा प्रदान करें। न्यायालय ने राज्य सरकार को देरी के लिए ज़िम्मेदार लोगों से दो लाख रुपये वसूलने और उनके ख़िलाफ़ विभागीय कार्रवाई करने की भी छूट दी।

न्यायमूर्ति शेखर बी. सराफ और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की खंडपीठ ने पीड़िता के पिता द्वारा रानी लक्ष्मी बाई महिला सम्मान कोष के 2015 के नियमों के तहत मुआवज़े की मांग वाली याचिका पर यह आदेश जारी किया। पीड़िता के वकील ने दलील दी कि इस साल मई में हुई बलात्कार की घटना के बाद जून में आरोप पत्र दाखिल किया गया था।

नियमानुसार, पीड़िता को दो मासिक किश्तों में तीन लाख रुपये मिलने चाहिए थे, जो नहीं मिले। मजबूरन सितंबर में याचिका दायर करनी पड़ी। इस बीच, सरकारी वकील ने कहा कि अधिकारियों ने मुआवज़ा देने के लिए पीड़िता से उसका खाता नंबर माँगा, जो 16 अक्टूबर को उपलब्ध कराया गया। इस पर अदालत ने कहा कि पीड़िता को आज तक एक पैसा भी नहीं मिला है। पुलिस और कानूनी अधिकारियों की दयनीय स्थिति समझ से परे है।

अदालत ने कहा कि ऐसे जघन्य अपराध में पीड़िता की पीड़ा को कम करने के लिए मुआवज़ा भुगतान यथाशीघ्र किया जाना चाहिए। इसलिए, पीड़िता को मुआवज़े के लिए याचिका दायर करने के लिए मजबूर होना पड़ा और वह इसके लिए मुआवज़े की हक़दार है। अदालत ने कहा कि इसके लिए ज़िम्मेदार अधिकारियों/कर्मचारियों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए और उन पर जुर्माना लगाया जाना चाहिए। इन टिप्पणियों के साथ, अदालत ने याचिका स्वीकार कर ली और पीड़िता को तीन लाख रुपये का मुआवज़ा देने का आदेश दिया, साथ ही देरी के लिए दो लाख रुपये अतिरिक्त भी दिए।

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