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Friday, May 30, 2025

जो दायित्व नहीं निभा सकते, उन्हें आत्ममंथन कर पद छोड़ देना चाहिए: कुंवर हरिवंश सिंह

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– डायमंड जुबली वर्ष पर स्मारिका प्रकाशित करेगी अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा

मुंबई में आयोजित एक विशेष संवाद कार्यक्रम के दौरान अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष कुंवर हरिवंश सिंह ने घोषणा की कि संगठन अपने डायमंड जुबली वर्ष के अवसर पर एक स्मारिका का प्रकाशन करेगा, जिसमें संगठन की उपलब्धियों, संघर्षों और विस्तार यात्रा को समाहित किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि जब उन्हें राजर्षि महाराज कुंवर श्रीपाल सिंह सिंगरामऊ ने संस्था की जिम्मेदारी सौंपी थी, तब यह संगठन केवल पाँच राज्यों तक सीमित था, पर आज यह देश के 27 प्रदेशों में सक्रिय है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जो लोग दायित्व निभाने में सक्षम नहीं हैं, उन्हें आत्ममंथन कर पद छोड़ देना चाहिए।

संघर्ष से लेकर संगठन विस्तार तक की यात्रा

कुंवर हरिवंश सिंह ने बताया कि 2005-06 में स्व. कालबी साहब और मेजर हिमांशु व स्व. प्रेमकंवर राठौड़ के आग्रह पर करणी सेना के अधिकांश पदाधिकारियों को महासभा से जोड़ा गया था। उन्होंने यह भी स्मरण किया कि पूर्व मुख्यमंत्री स्व. शीला दीक्षित ने दिल्ली में महाराणा प्रताप भवन के निर्माण में क्षत्रिय समाज को सम्मान दिया था, जबकि पूर्व उपराष्ट्रपति स्व. भैरोंसिंह शेखावत के सहयोग से लोकसभा परिसर में महाराणा प्रताप की अश्वारोही प्रतिमा स्थापित की गई।

संगठन में आने वाली चुनौतियाँ

उन्होंने कहा कि आज कई अतिमहत्वाकांक्षी लोग संगठन में घुसकर तोड़फोड़ का प्रयास करते हैं और वही लोग कभी-कभी नसीहतें भी देते हैं। ऐसे में अगर दस समर्पित कार्यकर्ता राघवेंद्र सिंह ‘राजू’ जैसे मिल जाएँ, तो समाज के सपनों को साकार किया जा सकता है।

“लोग बड़ी बातें तो करते हैं, लेकिन धरातल पर काम नहीं करते। बिना एजेंडा, साधन और संसाधनों के कोई लड़ाई नहीं जीती जा सकती,” उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा।

आत्मचिंतन और उत्तराधिकारी की तलाश

75 वर्षीय कुंवर हरिवंश सिंह ने कहा कि उन्हें न सांसद, विधायक या मंत्री बनने की चाह है, क्योंकि समाज की कुर्सी सबसे बड़ी होती है। उन्होंने स्पष्ट किया कि वह अब अपने उत्तराधिकारी की तलाश में हैं, लेकिन संगठन की सबसे बड़ी पूंजी चरित्र और समाज का भरोसा है।

दायित्व व निष्ठा का संदेश

उन्होंने पदाधिकारियों से कहा कि “दायित्व लेना और दायित्व निभाना निष्ठावान लोगों की परीक्षा होती है। क्षत्रियों की किस्मत मेहनत से बदलती है, न कि ईर्ष्या से।”
साथ ही उन्होंने जीवन के अनुभव साझा करते हुए कहा:

“इज्जतदार लोग ही दूसरों की इज्जत करते हैं। जिनके पास खुद इज्जत नहीं, वो किसी और को क्या इज्जत देंगे।
जिंदगी में सब पर भरोसा करो, लेकिन किसी के भरोसे पर न रहो।
कर्म से रखो आस्था, मिलेगा रास्ता।”

कुंवर हरिवंश सिंह ने बताया कि वे 29 मई को वाराणसी पहुँचेंगे और 30-31 मई को लखनऊ में रहकर कार्यक्रमों की समीक्षा करेंगे।

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