– श्रीकृष्ण पर पूछे गए सवाल पर चुप हुए कथावाचक, सड़क पर हुई यह मुलाकात बन गई वैचारिक टकराव का प्रतीक
लखनऊ/आगरा। सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है जिसमें समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और प्रसिद्ध कथावाचक अनिरुद्धाचार्य आमने-सामने नजर आते हैं। यह मुलाकात लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे पर हुई, जो देखते ही देखते वैचारिक टकराव में बदल गई। इस दौरान अखिलेश यादव ने न सिर्फ धर्म और तर्क को लेकर गहरी बात की, बल्कि जातीय टिप्पणी को लेकर भी अनिरुद्धाचार्य को खुलेआम फटकार लगाई।
वायरल वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि अखिलेश यादव, अनिरुद्धाचार्य को समाज में बराबरी और सम्मान की बात समझाते हुए कहते हैं –
“किसी को शूद्र मत कहना! यह संविधान के खिलाफ है। कोई छोटा-बड़ा नहीं होता, सब बराबर हैं।”
इस टिप्पणी ने इस मुलाकात को केवल धार्मिक नहीं, सामाजिक न्याय के विमर्श में भी बदल दिया। अखिलेश यादव का यह स्पष्ट और सधा हुआ हस्तक्षेप उनकी सामाजिक समानता की राजनीति को और मजबूती देता है।
मुलाकात के दौरान अखिलेश यादव ने अनिरुद्धाचार्य से श्रीकृष्ण के जन्म और सामाजिक व्यवस्था से जुड़े एक गूढ़ सवाल पूछा, जिस पर कथावाचक कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दे पाए। वह चुप हो गए और असहज दिखे। यही चुप्पी अब सोशल मीडिया पर आलोचना का केंद्र बन गई है। कई यूजर्स ने कथावाचक की ज्ञानहीनता और सामाजिक मुद्दों पर उनकी चुप्पी को लेकर तीखी प्रतिक्रियाएं दी हैं।
वीडियो सामने आते ही ट्विटर, फेसबुक और यूट्यूब पर बहस छिड़ गई।
कुछ यूजर्स ने कहा, “अखिलेश यादव ने वही कहा जो आज का पढ़ा-लिखा युवा सोचता है – धर्म को मत बांटो, समाज को मत तोड़ो।”
वहीं कुछ समर्थकों ने अनिरुद्धाचार्य को “एकपक्षीय और संकीर्ण सोच वाला कथावाचक” करार दिया।
कई दलित और पिछड़े वर्ग के संगठनों ने अखिलेश यादव के स्टैंड की सराहना करते हुए कहा कि “ऐसी ही आवाजें सामाजिक बराबरी की लड़ाई को आगे बढ़ाती हैं।”
यह टकराव केवल दो व्यक्तियों के बीच नहीं था, बल्कि यह एक ऐसा वैचारिक द्वंद्व था जिसमें परंपरा और प्रगतिशील सोच आमने-सामने थीं। अखिलेश यादव का यह हस्तक्षेप दिखाता है कि जब मंच पर धर्म के नाम पर किसी वर्ग को छोटा दिखाया जाए, तो जरूरी है कि कोई सामने खड़ा हो और कहे – “सब बराबर हैं।”
इस वीडियो ने एक बार फिर साबित कर दिया कि राजनीति सिर्फ सत्ता का खेल नहीं, बल्कि सामाजिक चेतना की लड़ाई भी है।
अखिलेश यादव की ओर से अनिरुद्धाचार्य को सड़क पर सधी हुई भाषा में फटकार देना — “किसी को शूद्र मत कहना” — यह केवल एक कथन नहीं, बल्कि एक राजनैतिक और सामाजिक घोषणापत्र जैसा बन गया है।
“जब धर्म के नाम पर भेद किया जाए, तो लोकतंत्र में जवाब तर्क और संवैधानिकता से दिया जाना चाहिए — और यही किया अखिलेश यादव ने।”
कथावाचक अनिरुद्धाचार्य या सपा प्रमुख अखिलेश यादव की ओर से इस पर कोई आधिकारिक बयान फिलहाल नहीं आया है।