लखनऊ। कानपुर देहात जिले में भारतीय जनता पार्टी के दो वरिष्ठ नेताओं मौजूदा सांसद देवेंद्र सिंह भोले और पूर्व सांसद अनिल शुक्ला वारसी के बीच दिशा बैठक के दौरान हुई तीखी बहस और हाथापाई अब सियासी रंग ले चुकी है। इस पूरे घटनाक्रम पर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बुधवार को तंज कसते हुए कहा कि पूर्व के हाथ में कटोरा है, वर्तमान के हिस्से मलाई है यह झगड़ा और कुछ नहीं बस बंटवारे की लड़ाई है। भाजपा जाए तो विकास आए।
अखिलेश यादव ने अपने आधिकारिक एक्स अकाउंट से इस घटना का वीडियो साझा करते हुए लिखा कि बीजेपी के नेताओं की आपसी कलह बताती है कि सत्तारूढ़ दल जनता के विकास कार्यों की बजाय सत्ता और लाभ के बंटवारे में उलझा हुआ है। उन्होंने कहा कि “जब भाजपा के अपने नेता ही एक-दूसरे को लात-घूंसों और गालियों से नवाज रहे हैं, तो जनता इनके ‘संस्कार’ भलीभांति समझ चुकी है।कानपुर देहात में मंगलवार को जिला विकास समन्वय एवं निगरानी समिति (दिशा) की बैठक के दौरान सांसद देवेंद्र सिंह भोले और राज्य मंत्री प्रतिभा शुक्ला के पति पूर्व सांसद अनिल शुक्ला वारसी आपस में भिड़ गए थे। अवैध खनन और फैक्ट्री जांच को लेकर शुरू हुई बहस ने देखते ही देखते हाथापाई का रूप ले लिया। बैठक में मौजूद जिलाधिकारी कपिल सिंह और पुलिस अधीक्षक श्रद्धा नरेंद्र पांडेय ने बीच बचाव कर किसी तरह मामला शांत कराया।
इस पूरे प्रकरण के बाद कानपुर देहात की राजनीति गरमा गई है। समाजवादी पार्टी ने इस मुद्दे को तुरंत भुनाने की कोशिश की और बीजेपी पर संस्कारहीन राजनीति का आरोप लगाया।राजनीतिक हलकों में माना जा रहा है कि अखिलेश यादव ने यह बयान केवल उत्तर प्रदेश की सियासत को गरमाने के लिए नहीं दिया, बल्कि बिहार चुनाव के मद्देनज़र भाजपा की राष्ट्रीय छवि पर भी प्रहार करने की रणनीति के तहत दिया है। जारी अपने बयान में अखिलेश ने कहा कि भाजपा की कलह अब सार्वजनिक मंचों पर पहुंच गई है। जब पार्टी के सांसद और पूर्व सांसद ही एक-दूसरे पर हाथ उठा रहे हैं, तो जनता समझ जाए कि भाजपा में अनुशासन नहीं, अहंकार शासन कर रहा है।
इस बयान के बाद बीजेपी नेताओं में खलबली मच गई है, जबकि सपा समर्थक इसे भाजपा की अंदरूनी लड़ाई का सच बताकर प्रचारित कर रहे हैं।






