खाली निकला बांकेबिहारी मंदिर का खजाना, 54 साल की उम्मीदों पर पानी
मथुरा। ब्रजधाम के श्री बांकेबिहारी मंदिर का 54 साल से बंद खजाना (तोषखाना) आखिरकार शनिवार को धनतेरस के शुभ अवसर पर खोला गया। चारों ओर उम्मीद थी कि इसमें सोना, हीरे जवाहरात या बहुमूल्य आभूषण निकलेंगे, लेकिन नतीजा सबकी उम्मीदों के उलट रहा। खजाने में न तो कोई बेशकीमती वस्तु मिली, न कोई बहुमूल्य रत्न सिर्फ पीतल के बर्तन, संदूक और आभूषणों के खाली बॉक्स बरामद हुए।
दिल्ली से आए चार्टर्ड अकाउंटेंट और प्रशासनिक अफसरों की टीम ने पूरे सामान की सूची तैयार की। जिलाधिकारी सीपी सिंह ने बताया कि तोषखाने के एक कमरे की जांच बाकी है, जिसे रविवार को खोला जाएगा। बताया जा रहा है कि वर्षों से इस खजाने के भीतर लाखों के सोने-चांदी, हीरे-जवाहरात, और प्राचीन आभूषण होने की बातें कही जाती रही हैं, मगर जब खजाना खुला तो सब दावे झूठे साबित हुए।खजाने को खोलने के दौरान सेवायतों और प्रशासनिक अधिकारियों के बीच तीखी नोकझोंक भी हुई। सेवायतों ने मौके पर ही नारेबाजी की और इस पूरी प्रक्रिया पर सवाल उठाए। हंगामे के बाद खजाने को दोबारा सील कर दिया गया।इसी बीच, इस पूरे घटनाक्रम को लेकर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा —भाजपा सरकार से करबद्ध आग्रह… कम-से-कम मंदिरों के खजाने तो छोड़ दे… इतना भी लालच अच्छा नहीं!”
अखिलेश ने इस घटना को “दुर्भाग्यपूर्ण” बताया और कहा कि सरकार श्रद्धा के स्थानों को भी राजनीति और लालच की दृष्टि से देखने लगी है।गौरतलब है कि श्री बांकेबिहारी मंदिर की हाईपावर्ड कमेटी ने हाल ही में अपनी पहली बैठक में तोषखाना खोलने का निर्णय लिया था। यह खजाना 54 वर्षों से सील बंद था और कोर्ट की देखरेख में था। प्रशासन ने सिविल जज (जूनियर डिवीजन) से अनुमति लेकर 18 अक्तूबर को खजाना खोलने की तिथि तय की थी।ब्रज के श्रद्धालु इस ऐतिहासिक क्षण को देखने को उत्सुक थे, लेकिन जब ताले खुले तो वहां की नीरवता ने सबको हैरान कर दिया। मंदिर प्रबंधन अब शेष बचे कमरे की जांच रविवार को करने की तैयारी में है, ताकि वर्षों से चली आ रही “खजाने की गुत्थी” का पूरा सच सामने आ सके।






