अखिलेश के पलटवार से चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े किये
– डीएमों के जवाब ने बढ़ाया विवाद
– सपा प्रमुख का पलटवार—अब कोर्ट जांच की मांग
लखनऊ: सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष Akhilesh Yadav ने 2022 विधानसभा चुनाव में वोटिंग लिस्ट में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए चुनाव आयोग (Election Commission) को एक शपथ पत्र सौंपा था। इस शपथ पत्र में लगभग 18,000 मतदाताओं के नाम गलत तरीके से काटे जाने का दावा किया गया था। इसके बाद जौनपुर, कासगंज और बाराबंकी के जिलाधिकारी (डीएम) सामने आए और उन्होंने इन आरोपों का खंडन किया।
कासगंज के डीएम ने बताया कि जिन मतदाताओं के नाम लिस्ट से हटाए गए, वे पहले ही चुनाव से पहले मृत थे। जौनपुर के डीएम दिनेश चंद्र ने कहा कि जिन पांच मतदाताओं के नाम काटे जाने की शिकायत थी, उनकी मृत्यु हो चुकी थी। वहीं, बाराबंकी के डीएम ने कहा कि दो मतदाताओं के नाम अभी भी वोटर लिस्ट में दर्ज हैं। कासगंज में कुछ मतदाताओं के नाम दो बार पाए जाने के कारण उन्हें हटाया गया था।
अखिलेश यादव ने डीएमों के जवाब के बाद पलटवार किया और कहा कि यदि मृतकों के नाम हटाए गए हैं तो मृत्यु प्रमाण पत्र क्यों नहीं दिखाया गया। उन्होंने कहा कि जिलाधिकारियों की यह सक्रियता साबित करती है कि चुनाव आयोग द्वारा ‘एफिडेविट की बात गलत है’ कहना सही नहीं था। अखिलेश ने चुनाव आयोग और जिलाधिकारियों की जवाबदेही पर सवाल उठाए और कहा कि इस मामले की पूरी जांच होनी चाहिए। उन्होंने कोर्ट से भी संज्ञान लेने की अपील की है।
यह विवाद चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करता है और आगामी चुनावों की निष्पक्षता पर असर डाल सकता है। राजनीतिक हलकों में इस मुद्दे को लेकर तकरार तेज होती जा रही है और संभावना है कि यह राजनीतिक बहस के साथ-साथ कानूनी जाँच का विषय भी बन सकता है।