लखनऊ: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री Akhilesh Yadav ने सोमवार को लखनऊ में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान राज्य सरकार पर जमकर हमला बोला। इस दौरान उन्होंने न सिर्फ गोमती नदी की सफाई परियोजना पर सवाल उठाए, बल्कि मुख्यमंत्री आवास और सिविल लाइन तक को अपने निशाने पर ले लिया।
अखिलेश यादव ने कहा कि सरकार जनता को दिखाने के लिए “गोमती मीना ग्रेस लीवर लाइन” जैसी योजनाओं का नाम तो बड़े गर्व से लेती है, लेकिन असलियत में यह सब कागजी सफाई और बजट की लूट का खेल है। उन्होंने तीखे शब्दों में कहा“अगर गोमती की सफाई ईमानदारी से हो जाए, तो मुख्यमंत्री आवास से लेकर सिविल लाइन तक गिर जाएगी। क्योंकि वहीं से गंदगी शुरू होती है, और वहीं जाकर खत्म होती है।”
उनका यह बयान जैसे ही सामने आया, पूरे प्रेस कॉन्फ्रेंस हॉल में सन्नाटा छा गया और फिर पत्रकारों में हलचल मच गई।
“ सरकार नदियां नहीं, बजट साफ कर रही है ”
अखिलेश यादव ने कहा कि योगी सरकार जनता को यह दिखाने में लगी है कि प्रदेश में विकास हो रहा है, जबकि जमीनी स्तर पर “विकास नहीं, विनाश” हो रहा है। उन्होंने व्यंग्य करते हुए कहा कि सरकार नदियों की सफाई नहीं कर रही, बल्कि बजट साफ कर रही है। उन्होंने कहा, “हर साल करोड़ों रुपये गोमती और अन्य नदियों की सफाई के नाम पर खर्च किए जाते हैं, लेकिन पानी और गंदगी वहीं की वहीं है। फर्क सिर्फ इतना है कि बजट से कुछ और जेबें भर जाती हैं।”
दीपावली और अर्थव्यवस्था पर चुटकी
दीपावली से पहले बाजारों में बढ़ती महंगाई पर तंज कसते हुए अखिलेश बोले, “दीपावली तक सोने का भाव डेढ़ लाख तक पहुंच जाएगा। जनता के पास खरीदने को पैसा नहीं और सरकार त्योहारों पर भी टैक्स बढ़ाने में लगी है। मेरा तो बहुत घाटा हो गया, सरकार की बात मान ली होती तो शायद नुकसान इतना न होता।”
इस बयान के साथ उन्होंने हंसते हुए कहा कि आज प्रदेश में अर्थव्यवस्था इतनी बिगड़ गई है कि लोग दीपावली की खरीदारी तक सोच-समझकर कर रहे हैं। “फेसबुक अकाउंट तक सीज़ हो गया, सरकार डर गई है आलोचना से” अखिलेश यादव ने डिजिटल सिस्टम और सोशल मीडिया पर भी सरकार पर हमला किया। उन्होंने कहा कि उनका खुद का फेसबुक अकाउंट चीज़ (हैक/फ्रीज़) कर दिया गया, जिससे साफ है कि सत्ता पक्ष विपक्ष की आवाज़ को दबाने की कोशिश कर रहा है।
उन्होंने कहा, “डिजिटल इंडिया के नाम पर सरकार लोगों की निगरानी कर रही है। सोशल मीडिया अब जनता का प्लेटफॉर्म नहीं, सरकार का नियंत्रण केंद्र बन गया है। सरकार को आलोचना से डर लगने लगा है।”
“गोमती रिवर फ्रंट सपा सरकार की पहचान थी”
अखिलेश यादव ने याद दिलाया कि सपा सरकार के समय गोमती रिवर फ्रंट को जनता के मनोरंजन, सौंदर्य और पर्यावरण के लिए बनाया गया था, लेकिन मौजूदा सरकार ने उस परियोजना को राजनीतिक बदले की भावना से खत्म कर दिया। उन्होंने कहा, “सपा ने शहर को एक पहचान दी थी। हमने गोमती को सजाया था, और ये सरकार उसे बहाने बना-बना कर उजाड़ रही है।”
अखिलेश यादव ने कहा कि जनता अब सब जानती है कि कौन विकास कर रहा है और कौन सिर्फ नारे लगा रहा है। उन्होंने कहा, “अब जनता गुमराह नहीं होगी। सरकार के झूठे वादों और खोखले दावों की पोल खुल चुकी है। आने वाले चुनाव में जनता जवाब देगी — और वो जवाब बहुत बड़ा होगा।”
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अखिलेश यादव का अंदाज़ आक्रामक था। बार-बार उन्होंने सरकार के रवैए को “घमंडी, संवेदनहीन और भ्रष्ट” बताया। उन्होंने कहा कि “सिविल लाइन और मुख्यमंत्री आवास अगर जांचे जाएं तो वहीं से लूट और फर्जीवाड़ा की जड़ें मिलेंगी।” अखिलेश यादव के इस बयान के बाद सियासी गलियारों में हलचल तेज हो गई है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह बयान न सिर्फ विपक्षी तेवरों को मजबूत करता है, बल्कि आगामी चुनावों से पहले सपा के तेवर और रणनीति दोनों को दर्शाता है।


